आज भी अस्तित्व में है मौर्यवंश के समय का वो ऐतिहासिक गांव जहां गोरखपुर शिवपिंडी स्थापित है
गोरखपुर शिवपिंडी वाला ऐतिहासिक गाँव जिसका मौर्य वंश से जुड़ा है तार
चौरी चौरा। यूपी के गोरखपुर में स्थित गोरसैरा गांव का अपने आप मे ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है।इस गाव में भगवान भोलेनाथ के चार शिव पिंडी सदियो से मौजूद है।यहाँ वर्ष भर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है।महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशेष आयोजन कीर्तन भजन व मेले का आयोजन किया जाता है। इस गांव के उत्तर में स्थित उपधौली व राजधानी को चंद्रगुप्त मौर्य वंश से जुड़े होने की अनेक प्रमाण मिलते है।
चौरी चौरा में महाशिवरात्रि के अवसर पर गोरसैरा गाव में विशेष आयोजन वर्षो से किया जा रहा है।इस वर्ष में यह भजन कीर्तन के साथ मेले का आयोजन हो रहा है।वैसे तो इस गाव में वर्ष भर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है।सबसे खास बात यह है कि इस गाव में कई शिव पिण्डी स्थित है जो अपने आप मे आश्चर्यजनक है।
गोर्रा नदी के धारा के पास वाली शिव पिंडी
गोरखपुर जिले में बहने वाली राप्ती नदी की उपशाखा नदी गोर्रा गोरसैरा गाव के बिल्कुल सटे हुए बहती है।गोरसैरा गाव के पश्चिमी दिशा में नदी के किनारे शादियो से एक शिव पिंडी स्थित की गाव के लोगो का कहना है कि कई सदियों से यह पिंडी इसी स्थान पर बनी हुई है।हालांकि प्रत्येक वर्ष जब नदी का जलस्तर बढ़ता है तो नदी के प्रचंड जलधारा को चीरते हुए अपने जगह पर बना रहता है।जलस्तर अत्यधिक बढ़ने पर उसमे डूब जाता है।और जलस्तर कम होने पर अपने जगह पर बना हुआ है।यह प्रक्रिया सदियो से हो रही है।
साँप बिच्छू वाला शिवपिंडी
गोरसैरा गाव के उत्तर उपधौली गाव के सिवान में दो शिवलिंग खेत मे सदियो से विद्यमान है।इस शिवपिंडी में एक ऐसा शिव पिंडी है जिसको ग्रामीण कुछ दशक पहले पूजा करने के लिए सुरक्षित जगह ले गए लेकिन अगले ही दिन उस शिव पिंडी के पास साँप बिच्छू एकत्रित हो गए ।इस घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत फैल गई।अगले ही दिन ग्रामीणों ने इस शिव पिंडी को दुबारा उसी जगह खेत मे लाकर स्थापित कर दिया।अब वही पूजा की जाती है।
गोरसैरा गाव के पूरब दिशा में एक भव्य मंदिर स्थित है।इस मंदिर में का निर्माण कई दसको पहले कराया गया है।इस मंदिर में नियमित सुबह चार बजे से ग्रामीण इकट्ठा होकर पूजा करते है।महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशेष आयोजन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।
गोरसैरा उपधौली राजधानी का मौर्यवंश के राजधानी से सम्बंध
स्थानीय क्षेत्र की बनावट साक्ष्य व इतिहासकारो के बार बार इस क्षेत्र में दौरा होने के कारण इस क्षेत्र को भारतीय इतिहास में मौजूद मौर्य वंश के शासक चन्द्रगुप्त मौर्य की राजधानी होने के दावे किए जाते है।किवदंती के अनुसार पिपलीवन जो मौर्य वंश से जुड़ा है इसी क्षेत्र को कहते है।गौरतलब की यहाँ वर्तमान समय मे भी अनेक किसानों के खेतों में सदियो पुरानी इट की दीवारें मिलती है।स्थलीय बनावट भी अगल है।
इस पर बोलते हुए ग्राम प्रधान ने दावा किया है कि हमारे वहाँ भगवान भोलेनाथ के चार शिव पिंडी है।जो अपने आप मे अलग अलग महत्व रखते है।आगे मौर्यवंश के राजधानी से जुड़े होने की प्रामाणिकता को बताते हुए ग्राम प्रधान ने मौर्य व शुंग वश की प्रामाणिकता रूपी अवशेष उपस्थित होने का दावा किया है।
वही गाँव के एक सदस्य ने कहा कि हमारे गाव में चार शिव पिण्डी मौजूद है।जो पाँचवी शताब्दी की मूर्तिया है।सभी काले पत्थरो की ये मूर्तिया है।यहाँ समय समय पर अक्सर इतिहासकार आते रहते है।
गोरखपुर से अजीत सिंह की रिपोर्ट