कोलकाता की सड़कों पर ‘पत्थरबाज़’ का खौफ! पत्थर से हमला, 1 की मौत
कोलकाता. कोलकाता की सड़कों पर इन दिनों पत्थरबाज़ों का खौफ है. शहर में कई जगहों पर इन दिनों लोग इन पत्थरबाजों (Kolkata Stoneman) का शिकार हो रहे हैं. चलते-फिरते या फिर सड़क के किनारे सो रहे लोगों पर पत्थर से हमले किए जा रहे है. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई है. ये कौन हैं और ऐस क्यों कर रहे हैं पुलिस को अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है. फिलहाल पूरे घटनाक्रम पर नज़र रखी जा रही है. हैरानी की बात ये है कि शहर के कई इलाकों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
इलाज के लिए ले जाया गया अस्पताल
पत्थरबाज़ की दहशत के अलावा ओमप्रकाश के परिवार ने शिकायत की है कि उनके इलाज में लापरवाही की गई है. बुधवार की सुबह परिजनों ने ओमप्रकाश को घायल देखा तो वे उसे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए, जहां बिना भर्ती हुए उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया. उसके बाद परिवार उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां उसे आखिरकार इमरजेंसी ऑब्जर्वेशन वार्ड में भर्ती कराया गया. हालांकि, परिवार ने शिकायत की है कि ओमप्रकाश के सिर पर सिर्फ पट्टी बंधी थी. दिन भर में एक बार भी डॉक्टर उसे देखने नहीं आए. इसके बाद आज सुबह से परिजन भड़क गए, जिसके बाद उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को लिखित शिकायत दी तो उन्होंने इलाज का आश्वासन दिया.
मरीज की मौत
मरीज को शाम करीब 5 बजे सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कोरोना टेस्ट के लिए ले जाया गया, लेकिन कुछ ही मिनटों में वार्ड ने परिवार को सूचित किया कि ओमप्रकाश की मौत हो गई है. ओमप्रकाश की मां रीता शर्मा ने कहा, ‘मेरे बच्चे ने कुछ भी गलत नहीं किया, तो उसे इस तरह से कोई इलाज किए बिना दुनिया क्यों छोड़ना पड़ा. अगर वो ऑपरेशन टेबल पर मर जाता, तो मुझे कोई शिकायत नहीं होती, लेकिन उसका इलाज नहीं हुआ.’
परिवारवालों का गुस्सा
ओमप्रकाश की मौत की खबर सुनकर परिजन भड़क गए. बाउ बाजार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. दोनों पक्षों के बीच कुछ बहस के बाद जांच का आश्वासन मिलने पर परिजन शांत हुए. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. हालांकि, मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने इलाज न किए जाने के आरोप को पूरी तरह से खारिज किया है. अस्पताल के अधिकारियों का दावा है कि कोविड रिपोर्ट मिलने के बाद वो ऑपरेशन करने वाले थे. मरीज निगरानी में था. हालांकि, सवाल ये उठता है कि गंभीर रूप से घायल मरीज का आपातकालीन आधार पर ऑपरेशन क्यों नहीं किया गया.
पहले भी हुई है पत्थरबाज़ी से मौत
कोलकाता में पत्थरबाज़ी से मौत कोई नई बात नहीं है. साल 1989 में भी यहां इस तरह की घटना सामने आई थी. यहां पत्थर मार कर 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इन हत्याओं में आम बात ये थी कि पीड़ितों के सिर पर भारी पत्थर से हमला किया गया था. इसके अलावा, सभी 13 बेघर, फुटपाथ पर रहने वाले थे. उन्हें आधी रात के बाद या सुबह के समय मार दिया गया था. उस वक्त पीड़ितों में से किसी की भी पहचान नहीं की जा सकी क्योंकि कोई भी उनके शवों पर दावा करने के लिए आगे नहीं आया. अधिकांश हत्याएं हावड़ा ब्रिज से सटे मध्य कोलकाता में हुईं. पत्थरबाज को किसी ने नहीं देखा है, लेकिन कोलकाता पुलिस को संदेह था कि हत्यारा मानसिक रूप से अस्थिर है.