देश के नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को इन चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना
नई दिल्ली. मनसुख मंडाविया (Mansuskh Mandaviya) ने गुरुवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया. गुजरात के सौराष्ट्र से नाता रखने वाले बीजेपी नेता मंडाविया ने डॉक्टर हर्षवर्धन की जगह ली है. देश में कोरोना वायरस के कहर के चलते इन दिनों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की महत्ता काफी ज्यादा बढ़ गई है. पद भार संभालते ही मंडाविया के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी देश में कोरोना की तीसरी लहर को रोकना.
केंद्र सरकार ने कहा है कि वो देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को इस साल दिसंबर तक कोरोना की वैक्सीन लगा देगी. लेकिन इसके लिए मनसुख मंडाविया को जम कर मेहनत करने होगी. इस दौरान उन्हें न सिर्फ वैक्सीन की सप्लाई बढ़ानी होगी बल्कि वैक्सीन सेंटर की संख्या में भी इज़ाफा करना होगा. खास कर देश के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में उन्हें ये सुनिश्चि करना होगा कि वहां के लोगों तक समय रहते वैक्सीन पहुंच जाए. वैक्सीन को लेकर अब भी देश के कई इलाकों में लोगों के मन में संदेह है. वैक्सीनेशन अभियान में प्रचार के जरिए सरकार को ये भी दूर करना होगा.
मनसुख मंडाविया ने सामने एक और चुनौती होगी कोरोना के संक्रमण की रफ्तार को रोकना. देश कुछ राज्यों में पॉजिटिवटी रेट अब भी काफी ज्यादा है. ये राज्य हैं-राजस्थान, केरल, मणीपुर, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश. केरल में पिछले 10 दिनों में कोरोना के 12 हज़ार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. लिहाज़ा सरकार की चिंता बढ़ गई है.मंडाविया को रसायन और उर्वरक मंत्रालय का भी कार्यभार दिया गया है. कोरोना के चलते ये भी काफी अहम मंत्रालय है. फार्मास्यूटिकल डिपार्टमेंट भी इसी मंत्रालय के तहत आता है. लिहाज़ा उन्हें दवाई और वैक्सीन के निर्माण पर भी नजर रखनी होगी.