किसान हुए पीछे! बॉर्डर से हटाए टेंट, UP सरकार ने काटी यूपी गेट की लाइट
दिल्ली हिंसा के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के टेंट उखड़ने लगे हैं। धरना स्थल पर 26 जनवरी की परेड को लेकर दो- तीन दिन पहले से किसानों का सैलाब सा उमड़ पड़ा था। धरना स्थल पर कही भी पैर रखने की जगह नहीं थी। गाजीपुर के अगले फ्लाईओवर तक टेंट लगे हुए थे, लेकिन हिंसा के बाद अब वे सब टेंट खाली हो गए हैं। अब टेंटों को हटाया जा रहा है। मंगलवार की शाम तक काफी टेंट हटाए जा चुके थे।
गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार को अलग ही नजारा था। जहां चारों तरफ लोग लंगरों के लिए लाइन में खड़े रहते थे, वहीं कुछ लोग ही थे जो लंगर चख रहे थे। कोई लाइन नहीं थी, लंगर बनाने वाले भी आराम से थे। जो किसान गाजीपुर बॉर्डर पर अभी बुधवार को भी सुबह 11 बजे से मंच पर आयोजन शुरू हुआ। ट्रैक्टर परेड में हुई मौत पर किसानों ने श्रद्धांजलि सभा की और 2 मिनट के लिए मौन रखा। मंच पर आकर कई किसानों ने मंगलवार को हुई हिंसक घटना के विरोध में दोषियों पर कर्रवाई की मांग की। उसके तुरंत बाद ही स्टेज को बंद कर दिया गया।
किसानों ने कहा कि हमारे एक भाई की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई है। हमने अपना एक बेटा खो दिया है इसलिए हम लोगों ने तय किया की मंच बंद रहेगा। 1 बजे के बाद मंच बंद कर दिया गया था। यहां 11 किसान बुधवार को भी भूख भड़ताल पर बैठे।
यूपी गेट किसान आंदोलन की लाइट काट दी गई है। जिसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या घट रही है। सरकार ने भी पुलिस को भारी संख्या में तैनात किया था। बता दें दिल्ली में किसानों के हिंसक होने के बाद कुछ ऐसे चित्र सामने आए। जिससे दूसरे किसान आंदोलन नाराज हो गए और उन्होंने ऐलान किया कि वह अपना आंदोलन खत्म करना चाह रहे हैं।
किसानों की संख्या हो रही कम
बता दें यूपी गेट के नजदीक पिछले दो दिनों में किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है। कई किसान रैली खत्म करते ही सीधे अपने घर निकल गए। अब यहां से टैंट कम होते दिख रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार भी अब आंदोलनकारियों पर नकेल कसती नजर आ रही है। सरकार ने पुलिस वालों के माध्यम से आंदोलनरत किसानों को चेतावनी देना शुरु कर दिया है। जिसका असर भी दिख रहा है। बड़ी संख्या में हाइवे से किसान जाते दिख रहे हैं।