मानसून सत्र से पहले बढ़ी बीजेपी की टेंशन, SAD करेगा कृषि कानून के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व
नई दिल्ली. सोमवार शुरू हो रहे संसद (Parliament) के मानसून सत्र (Monsoon Session) से पहले केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. मानसून सत्र में कृषि कानून (Agricultural Law) को लेकर पहले ही हंगामे के आसार थे. इस बीच खबर आई है कि भाजपा (BJP) की पूर्व सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) संसद में कृषि कानून के खिलाफ विपक्ष की ओर से मोर्चा संभालेगी. अकाली दल अपने इस अभियान में क्षेत्रीय दलों को भी शामिल करेगी और कृषि कानून को रद्द करने की मांग करेगी.के सांसद नरेश गुजराल ने बताया कि शिरोमणि अकाली दल संसद के दोनों सदनों में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करेगी. उन्होंने कहा हम इस कदम का समर्थन करने के लिए पहले ही शिवसेना, राकांपा, द्रमुक, टीएमसी और बसपा को साथ ले चुके हैं. हमारी कोशिश है कि वाम दलों और अन्य क्षेत्रीय दलों को भी अपने साथ जोड़ा जाए, जिससे संसद में हमारी ताकत के आगे केंद्र सरकार झुक जाए.उन्होंने कहा, लोकसभा में यह एक स्थगन प्रस्ताव के रूप में होगा जबकि राज्यसभा में हम काले कानूनों को पारित करने के लिए सरकार की निंदा करते हुए उपयुक्त नियम का पालन करेंगे. बता दें कि उच्च सदन में सरकार के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की कोई प्रक्रिया नहीं है. सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करने के लिए नियम 167 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया जा सकता है, जिसे सदन के वोट के लिए रखा जा सकता है.
गुजराल ने कहा कि यह कदम सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने का प्रयास है. गुजराल से जब ये पूछा गया कि क्या शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस को भी अपने इस अभियान में शामिल करेगी क्योंकि कांग्रेस हमेशा से ही कृषि कानून का विरोध करती रही है. इस पर उन्होंने कहा, इस मसले पर कांग्रेस से बात करने का कोई मतलब नहीं है. हम पंजाब में प्रतिद्वंद्वी दल हैं और ऐसे समय में वह हमारे साथ जुड़ना पसंद नहीं करेंगे.
तीसरे मोर्चे को खड़ा करने की है कोशिश
शिरोमणि अकाली दल का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ तीसरे मोर्चे को खड़ा करने का एक नए प्रयास की शुरुआत है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संघीय मोर्चे का आह्वान किया था. इसके बाद राकांपा नेता शरद पवार ने पिछले महीने ही क्षेत्रीय दलों की एक बैठक बुलाई थी.