तेजप्रताप के पत्र को विश्वसनीय नहीं मानती राजद
उपचुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की बात पर लालू परिवार को नहीं सूझ रहा जवाब
बिहार में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा उपचुनाव लालू प्रसाद यादव के परिवार में कलह का कारण बनता दिख रहा है। यह राजद के लिए भी बड़ी परेशानी बन गया। इसमें तेजप्रताप यादव के नाम के एक पत्र को लेकर राजनीति गरमा गई है। एक विधानसभा में राजद को और दूसरी में कांग्रेस को समर्थन देने की बात वाले इस पत्र को राजद विश्वसनीय नहीं मान रही है।
राजद में माना जा रहा है कि तेजप्रताप यादव, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के पुत्र हैं, इसलिए पार्टी का कोई संविधान, कोई नियम, कोई अनुशासन उन पर तब भी नहीं चलेगा जब वे कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे? एक सवाल यह भी सामने आ रहा है कि क्या लालू प्रसाद कोई नजीर पेश करेंगे? ज्यादातर लोगों को लगता है कि लालू प्रसाद, तेजस्वी और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह कुछ नहीं करेंगे। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि जो पत्र जारी किया गया है उसकी विश्वसनीयता ही नहीं है। चुनाव के समय विरोधी पार्टी के लोग इस तरह की गतिविधियां करते हैं, इसलिए इस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी जा सकती।
तेजप्रताप ने सोशल मीडिया पर पत्र नहीं डाला
छात्र जनशक्ति परिषद के लेटर पैड पर तेजप्रताप यादव के हस्ताक्षर से यह चिट्ठी जारी हुई कि छात्र जनशक्ति परिषद तारापुर में राजद के उम्मीदवार और कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन देंगे। ट्विटर पर या छात्र जनशक्ति परिषद के फेसबुक पेज पर भी पत्र को नहीं डाला गया है। तेजप्रताप ने सीधे तौर पर इस पत्र से जुड़ा कोई बयान भी नहीं दिया। ऐसे में भविष्य में इस पत्र से पल्ला झाड़ने की भी पूरी गुंजाइश रखी गई है।
पहले के बयानों पर भी कार्रवाई नहीं
तेजप्रताप यादव इससे पहले भी विवादित बयान देते रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जगदानंद सिंह को हिटलर, रघुवंश प्रसाद सिंह पर एक लोटा पानी वाले बयान पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्र जनशक्ति परिषद के पोस्टर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का फोटो हटा देने पर भी राजद ने कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। हालांकि, पार्टी ने प्रशिक्षण शिविरों में तेजप्रताप को बुलाना बंद कर दिया है। राजद का लोकतंत्र मजबूत हो रहा या कमजोर, इसे लेकर भी चर्चा है।
जरा इतिहास पर गौर कर लें
– प्रो. जाबिर हुसैन बिहार विधान परिषद के सभापति थे उस समय कांग्रेस के शिवनंदन प्रसाद और महाचंद्र प्रसाद सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे। तब जाबिर हुसैन ने दोनों की सदस्यता खत्म करवा दी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, बड़े वकील भी रखे गए लेकिन सदस्यता वापस नहीं हो पाई।
– ताराकांत झा बिहार विधान परिषद के सभापति थे उस समय राजद के पार्षद प्रेम कुमार मणि की सदस्यता नीतीश कुमार के पत्र देने के बाद चली गई थी। मणि पर पार्टी विरोधी लाइन लेने का आरोप लगाया गया था। विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी कार्य करने पर राजद ने चुनाव के बाद डेढ़ दर्जन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
– वर्तमान में तेजप्रताप पार्टी के खिलाफ खुलकर सामने आते हैं। ऐसे में उनकी विधायकी भी खतरे में पड़ सकती है। इसके दो नियम हैं, पहला यह कि जब कोई शिकायत लेकर विधानसभा स्पीकर के पास जाएगा। दूसरी स्थिति में तब विधायकी जा सकती है जब उनकी पार्टी उन्हें सस्पेंड कर दे।