मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र में लामबंद हुए शिक्षक
मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुलतानपुर में सोमवार को कलेक्ट्रेट गेट पर शिक्षकों ने योगी सरकार के शिक्षा अधिकरण विधेयक 2021 पारित बिल की प्रतियां जलाई। स्थानीय तिकोनिया पार्क से निकले शिक्षकों ने बिल वापस लो के नारे लगाए। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के आह्वान पर प्रदर्शन किया गया। अध्यक्षता करते हुए महासंघ जिला अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने कहा कि, शासन की मंशा उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण बनाकर शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लंबित मामलों का निस्तारण करना नहीं, अपितु अपनी मनमानी चलाना है। सत्ता का इस प्रकार से केंद्रीय करण लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। इस अधिकरण के गठन का निर्णय न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप होगा व अधिकरण कर्मचारियों में निरंकुशता व लेन-देन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का कार्य करेगी।
महासंघ के संयोजक राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि, यह काला कानून हमारे लिए मृत्यु सर्टिफिकेट है।
पिछले अनुभव बताते हैं कि, अधिकरण जिस उद्देश्य से बनाये गए, वे उसे पूरा करने में असफल रहे है। सर्वोच्च न्यायालय भी अधिकरणों की प्रासंगिकता पर टिप्पणी कर चुका है।
उन्होंने ये भी कहा कि, न्यायालय में यदि अधिक मामले लंबित हैं तो पीठ की संख्या बढ़ानी चाहिए, न कि उसके समानांतर किसी अधिकरण का गठन कर देना चाहिए।
न्यायालय में लंबित सभी शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मामले (33 हजार प्रयागराज में व 15 हजार लखनऊ खंडपीठ में) अधिकरण में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे। जिनकी सुनवाई के लिए 9 सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट्स होंगे। जिन्हें न तो न्यायिक कार्य का अनुभव है न ही कोई जानकारी है। इससे सरकार की मंशा साफ दिख रही है कर्मचारियों के लिए न्याय के दरवाजे बंद हो जाएंगे। इसके निर्णय से आहत या प्रभावित ब्यक्ति कहाँ अपनी गुहार लगाएगा यह भी स्पस्ट नही है।