1 महीने में दूसरी बार हुई इमरान खान और पुतिन के बीच बातचीत, क्या भारत से…
अफगानिस्तान में बदले हालातों के बीच पाकिस्तान और रूस में काफी नजदीकी देखी जा रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बात की और अफगानिस्तान में उत्पन्न स्थिति के साथ-साथ क्षेत्रीय और द्विपक्षीय हितों के विषयों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने फोन पर बातचीत में आह्वान किया कि दुनिया को युद्धग्रस्त देश से संपर्क बनाए रखना चाहिए बजाय कि इस अहम मौके पर उसे अकेला छोड़ दिया जाए। यहां ध्यान देने वाली बात है कि एक महीने के भीतर रूसी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से दो बार फोन पर बातचीत की है। ताजा घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि रूस का पाकिस्तान के प्रति झुकाव बढ़ता ही जा रहा है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इमरान खान को फोन किया और इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर विचारों का अदान- प्रदान किया। बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री खान ने अफगानिस्तान से अंतररष्ट्रीय समुदाय द्वारा संपर्क बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित किया और जोर दिया कि इस मौके पर अफगान लोगों को अकेले नहीं छोड़ा जाना चाहिए। क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने तत्काल देश को मानवीय सहायता का प्रावधान करने और आर्थिक संकट टालने की अनिवार्यता पर जोर दिया। इमरान ने जोर दिया कि अफगानिस्तान में उत्पन्न स्थिति पर पाकिस्तान और रूस के बीच करीबी समन्वय और परामर्श बहुत अहम है।
पिछले महीने 25 अगस्त को टेलीफोन पर हुई वार्ता को याद करते हुए दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के नवीनतम घटनाक्रम, द्विपक्षीय सहयोग और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में साझेदारी के मुद्दे पर एक दूसरे के समक्ष अपने विचार प्रकट किए। इतना ही हीं, इमरान खान ने फोन पर ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन को पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दोहराया। हालांकि, अब तक स्पष्ट नहीं है कि पुतिन कब पाक का दौरा करेंगे। बयान की मानें तो दोनों नेता निकट संपर्क में रहने पर सहमत हुए।
रूस की पाकिस्तान के प्रति दिलचस्पी उस वक्त भी देखी गई थी, जब 9 सालों के बाद रूसी विदेश मंत्री पहली बार पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे। पाकिस्तान और रूस के ठंडे संबंधों में यह एक तरह से गर्माहट का हिस्सा था। इस्लामाबाद की अपनी यात्रा के दौरान रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने एक बयान में कहा था कि हम पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी क्षमता को मजबूत करने के लिए तैयार हैं, जिसमें पाकिस्तान को विशेष सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी शामिल है। इतना ही नहीं, समुद्री अभ्यास जैसे अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास करने पर भी दोनों देशों में सहमति बनी है।
रूस और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि रूस और भारत के बीच काफी समय से बेहतर संबंध रहे हैं और यहां तक कि रूस भारत की मदद के लिए हमेशा तैयार रहा है। मगर बीते कुछ समय से रूस का नजरिया बदला दिख रहा है। इससे पहले अफगान मसले पर ‘ट्रोइका बैठक’ में भी रूस ने भारत को नहीं आमंत्रित किया था, जबकि इसमें पाकिस्तान को न्योता मिला था। रूस का मानना था कि अफगान संकट का हल निकालने में भारत उतना प्रभावी नहीं है, जितना पाकिस्तान। हालांकि, बीते दिनों रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी से भी करीब 45 मिनट तक बातचीत की थी।