अखुंदजादा को घुसपैठियों का डर:तालिबानी लड़ाकों के नाम लिखा पैगाम
अपनी फौजों में से दुश्मन को ढूंढ़कर खत्म करो
तालिबान को अब घुसपैठियों का डर सता रहा है। तालिबानी सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने अपने लड़ाकों को चेतावनी दी है कि वे घुसपैठियों से सावधान रहें। अखुंदजादा का कहना है कि लड़ाकों के बीच घुसपैठिए हो सकते हैं, जो तालिबानी सरकार के खिलाफ काम कर रहे हों।
एक चिठ्ठी लिखकर अखुंदजादा ने तालिबानी कमांडरों को आदेश दिया है कि वे अपनी फौजों में से घुसपैठियों को ढूंढ़ें और फौज की सफाई करें। सरकार बनाने के साथ ही तालिबान ने बड़ी संख्या में लोगों को भर्ती किया था। इसमें पुराने दुश्मन, इस्लामी लड़ाके और मदरसा जाने वाले युवा छात्र शामिल हैं। अखुंदजादा को इन्हीं में से घुसपैठियों के होने की आशंका है।
IS-K से है खतरा
दरअसल तालिबान को इस्लामिक स्टेट खुरासान से लगातार चुनौतियां मिल रही हैं। कुछ दिन पहले ही IS-K ने काबुल के एक अस्पताल पर हमला किया था, जिसमें 19 लोगों की जान गई थी। इसके अलावा तालिबान पर भी इलजाम लग रहे हैं कि वह अपने अमन और चैन के वादे पर खरा नहीं उतर रहा है, तालिबानी लड़ाके लोगों को परेशान कर रहे हैं। इसके पीछे भी तालिबान को IS-K का ही हाथ लग रहा है।
कम ही सामने आता है अखुंदजादा
अखुंदजादा ऐसे सार्वजनिक बयान बहुत कम ही देता है। ऐसे में इस बयान को संजीदगी के साथ देखा जा रहा है। अखुंदजादा 2016 से तालिबान का मुखिया है, लेकिन वह हमेशा पर्दे के पीछे से ही काम करता रहा है। अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद भी अखुंदजादा लोगों के सामने नहीं आया।
पिछले महीने तालिबान के दो गुटों में लड़ाई के बीच अखुंदजादा के मरने की अफवाहें फैली थीं, जिसके बाद उसने कंधार में सबके सामने आकर अपने जिंदा होने का सबूत दिया था।
किसी भी हरकत के लिए ग्रुप के लीडर होंगे जिम्मेदार
अपनी चिठ्ठी में अखुंदजादा ने लिखा कि सभी लीडरों को अपने-अपने ग्रुप में देखना चाहिए कि कहीं ऐसा तो कोई शख्स नहीं जो सरकार की मर्जी के खिलाफ काम कर रहा हो। अगर ऐसा कोई दिखता है तो उसे जल्द से जल्द खत्म करना होगा। अगर कुछ भी गलत होता है तो ग्रुप के बड़े लोग इस दुनिया में और इसके बाद वाली दुनिया में होने वाली चीजों के लिए जिम्मेदार होंगे। अखुंदजादा का यह बयान तालिबान के कई ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया गया है।
नए लड़ाकों को तालिबानी तौर-तरीके सिखाएं लीडर्स
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करके पूरे देश पर अपनी हुकूमत का ऐलान किया था। इसके कुछ दिन बाद ही अमेरिकी सेना ने पूरी तरह अफगानिस्तान छोड़ दिया। उसके बाद से तालिबान अपने 20 साल पुराने ढर्रे पर उतर आया है। देशभर में शरिया कानून लागू कर दिया गया और विरोध की आवाजों को कुचल दिया गया।
अखुंदजादा ने तालिबान में यूनिट कमांडरों को कहा है कि वे अपने नए भर्ती हुए लड़ाकों के साथ बैठें और उन्हें तालिबान के तौर-तरीके सिखाएं, भले ही इसमें कितना भी समय लग जाए, ताकि ये मुजाहिदीन अपने मुखिया के लिए बेहतर तरीके से काम कर सकें।
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