तालिबान ने पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के भाई की बेरहमी से हत्या की, पहले गला काटा, फिर बरसाईं गोलियां
तालिबान ने अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह की हत्या कर दी है। तालिबान सूत्रों ने दावा किया कि रोहुल्लाह सालेह को पंजशीर घाटी में ही मौत के घाट उतार दिया गया। सूत्रों ने बताया कि रोहुल्लाह को तालिबानियों ने यातनाएं देने के बाद हत्या कर दी। उन्हें पहले कोड़ों और बिजली के तार से पीटा गया उसके बाद गला काट दिया गया। बाद में तड़पते सालेह पर दनादन गोलियां बरसा दी गईं।
अशरफ गनी के साथ अमरुल्लाह सालेह।
15 अगस्त को काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। साथ ही उन्होंने पंजशीर के लड़ाकों के साथ मिलकर नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के बैनर तले तालिबान के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। तालिबान ने कुछ दिनों पहले पंजशीर पर जीत का दावा किया था। उन्होंने पाकिस्तानी वायुसेना के समर्थन से पंजशीर के दो बड़े नेताओं को मार दिया था। तालिबान ने नॉर्दर्न अलायंस के कमांडरों और विद्रोहियों के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पंजशीर के शेर कहे जाने वाले जनरल अहमद शाह मसूद के भतीजे जनरल वदूद की हत्या कर दी थी।
तालिबान की दरिंदगी के शिकार 4 लोगों की मौत, विरोध करने वालों को हथियारों और कोड़ों से मार रहे तालिबानी
अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं। ऐसे में विरोध को दबाने के लिए तालिबान दरिंदगी दिखा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान हिंसक तरीके अपना रहा है, उन्हें हथियारों और कोड़ों से पीटा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के मुताबिक तालिबानी क्रूरता के शिकार 4 लोग अब तक दम तोड़ चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र की राजदूत देबोराह लेयॉन्स ने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ को तालिबान प्रताड़ित कर रहा है और उन्हें डरा-धमका रहा है। अगर स्टाफ को अपनी जान जाने का डर होगा तो वे अफगानिस्तान की जनता के लिए जरूरी काम नहीं कर पाएंगे।
पूर्व उप-राष्ट्रपति के घर में रह रहे 150 तालिबानी
अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के काबुल स्थित महल पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। यहां 150 तालिबानी तमाम सुख-सुविधाओं के साथ रह रहे हैं। उनका कहना है कि दोस्तम पिशाच थे, जिन्होंने अफगानी जनता के खून से यह घर बनाया था। अफगानिस्तान की जनता के पास खाने को कुछ नहीं था और दोस्तम ने महल बना लिया।
काबुल एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू
काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों के हटने और तालिबान के कब्जे के बाद पहली इंटरनेशनल फ्लाइट ने गुरुवार को उड़ान भरी। कतर एयरवेज की इस फ्लाइट से 200 लोगों को कतर की राजधानी दोहा पहुंचाया गया। इन लोगों में अमेरिकी भी शामिल थे। बता दें 31 अगस्त को अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट तालिबान के हवाले कर दिया था। इसके बाद काबुल एयरपोर्ट से उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब फिर से शुरू कर दी गई हैं।
तालिबानी सोच- महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना, वे मंत्री नहीं बन सकतीं
अफगानिस्तान में अपने अधिकारों और नई सरकार में अपनी भागीदारी के लिए तालिबान से लड़ रहीं महिलाओं का प्रदर्शन तेज हो गया है। महिलाओं का प्रदर्शन काबुल से बढ़कर उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां पहुंच गया है। वहां भी कई महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। इस बीच तालिबान ने महिलाओं को लेकर बेतुका बयान दिया है। तालिबानी प्रवक्ता सैयद जकीरूल्लाह हाशमी ने कहा- ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती है। महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान की सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं।’
तालिबान महिलाओं पर नई-नई बंदिशें लगा रहा है। इस बीच अफगानिस्तान से लोगों का पलायन जारी है। फोटो काबुल से कतर पहुंचे एक परिवार की है।
तालिबान ने अफगानी हीरो के मकबरे में तोड़फोड़ की
तालिबान ने गुरुवार को पंजशीर की राजधानी बाजारख में उत्पात मचाते हुए अफगानिस्तान के हीरो अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोड़फोड़ कर दी। बता दें गुरुवार को ही मसूद की 20वीं बरसी थी। अमेरिका में 9/11 हमले के ठीक दो दिन पहले यानी 9 सितंबर 2001 को अलकायदा ने मसूद की हत्या की थी।
अमेरिकी विमानों पर झूला झूल रहे तालिबानी
अमेरिका को मजबूरी में अपने विमान अफगानिस्तान में छोड़ने पड़े हैं, लेकिन अमेरिकी सैनिक इन विमानों को निष्क्रिय कर गए हैं। ऐसे में तालिबानी इन विमानों को उड़ा तो नहीं पा रहे, लेकिन उन पर झूला झूलते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ है, हालांकि इसकी लोकेशन पता नहीं चल पाई है।
UN की चेतावनी- अफगानिस्तान में आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में सामाजिक व्यवस्थाएं और अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतरने का खतरा बना हुआ है। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र की राजदूत देबोराह लेयॉन्स ने दुनिया से अपील की है कि तालिबान से जुड़ी चिंताओं के बावजूद अफगानिस्तान में पैसे का फ्लो बनाए रखें नहीं तो पहले से ही गरीब इस के हालात बेकाबू हो सकते हैं। अफगानिस्तान इस वक्त करंसी की वैल्यू में गिरावट, खाने-पीने की चीजों, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा और प्राइवेट बैंकों में नकदी की कमी जैसे संकटों का सामना कर रहा है। यहां तक कि संस्थाओं के पास स्टाफ का वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। UN ने कहा है कि इन हालातों में इकोनॉमी को चलाने के लिए कुछ महीने का वक्त दिया जाना चाहिए।