खुफिया जानकारी पर नजर:
काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने सबसे पहले रक्षा और संचार मंत्रालय कब्जे में लिए, अब इनके स्टाफ की जान को खतरा
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने सबसे पहले नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टोरेट और मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन्स को अपने कब्जे में लिया। यहां बड़ा तलाशी अभियान भी चलाया। यहां उन लोगों से जुड़े डॉक्यूमेंट्स तलाशे गए, जो अमेरिकी और अफगान सेना के मददगार या मुखबिर थे। संचार मंत्रालय में भी अहम जानकारियां हासिल करने की कोशिश की गई। अब इन डिपार्टमेंट्स से जुड़े लोगों और उनके मददगारों की जान को खतरा है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और कुछ दूसरी मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई है।
गोपनीय फाइलों को कब्जे में लिया
रिपोर्ट्स में मौके पर मौजूद दो अफगान अफसरों के हवाले से कहा कि तालिबानी इंटेलीजेंस अफसरों और मुखबिरों की खासतौर पर जानकारी चाहते थे। इन सभी के फोन नंबर भी उन्होंने हासिल कर लिए। ज्यादातर कर्मचारी वे हैं जिन्होंने तालिबान के खिलाफ अफगान और अमेरिकी सैनिकों की मदद की।
यह खबर उन पूर्व कर्मचारियों तक भी पहुंच गई और तब से वे छिपे हुए हैं। कुछ टॉप सीक्रेट फाइल्स को भी तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया है। इनमें कर्मचारियों की सैलरी और बाकी जरूरी दस्तावेज भी शामिल हैं।
हालात तो अब खराब होंगे
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सबसे बड़ा खतरा उन मुखबिरों और इंटेलिजेंस अफसरों को है, जो अमेरिकी और अफगान सेना से जुड़े रहे हैं। 31 अगस्त के बाद जब अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके होंगे तो इन लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। ये लोग बेहद डरे हुए हैं।
वैसे तो तालिबान आम माफी और लोगों को किसी तरह की सजा न देने के वादे कर रहा है, लेकिन यहां के लोगों को इन पर कतई भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि तालिबानी अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अपना असली चेहरा दिखाएंगे। कुछ खबरों में तो पहले ही कहा जा चुका है कि तालिबान काबुल और दूसरे अहम शहरों में घर-घर दस्तक देकर तलाशी ले रहे हैं।
चुपचाप हरकतें कर रहा तालिबान
एक सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हम लोग छिपे हुए हैं। तालिबान ने आधी रात को मेरे घर पर छापा मारा और तलाशी ली। मैं परिवार के साथ हूं, आगे क्या होगा हम नहीं जानते। तालिबान किस तरह अपने ऑपरेशन चला रहा है, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। उसके आतंकी आधी रात या तड़के घरों पर धावा बोलते हैं और कुछ लोगों को साथ ले जाते हैं। ये साफ नहीं है कि इन लोगों का क्या होता है।
एक पूर्व अफसर ने कहा कि तालिबान भले ही लोगों को कितना भी भरोसा दिलाएं, लेकिन ये लोगों के लिए उनकी बातों पर यकीन करना बेहद मुश्किल है। आखिर उनका इतिहास ही ऐसा है।