तालिबान के हाथ हथियारों का जखीरा:
8.84 लाख हथियार और फौजी साजो-सामान अफगानिस्तान में छोड़ आया अमेरिका, अब विमान-हेलिकॉप्टर भी हैं तालिबान के पास
19वीं सदी की शुरुआत से ही अफगानिस्तान महाशक्तियों के लिए खेल का मैदान रहा है। 19वीं सदी में ब्रिटेन था, तो 20वीं सदी में रूस और अब 21वीं सदी में अमेरिका। हर बार शुरुआती जीत के बाद अंतत: तीनों महाशक्तियों को मात खानी पड़ी।
इसके बावजूद महाशक्तियों का यह खेल इतना गहरा है कि 1989 में रूसी सेना की वापसी के बाद पहले मुजाहिद्दीन और बाद में तालिबानी रूसी AK 47 के साथ T-55 टैंकों पर सवार नजर आते थे और अब यही तालिबानी लड़ाके अमेरिकी बख्तरबंद फौजी गाड़ी हमवी (humvee) पर अमेरिका में ही बनी M16 रायफल के साथ नजर आ रहे हैं।
फोर्ब्स के आकलन के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में 8,84,311 आधुनिक सैन्य उपकरण छोड़ आया है। इनमें M16 रायफल, M4 कार्बाइन, 82 mm मोर्टार लॉन्चर जैसे इंफेंट्री हथियारों के साथ humvee जैसे सैन्य वाहन, ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, नाइट विजन, कम्युनिकेशन और सर्विलांस में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं।
2003 के बाद से यह सैनिक साजो-सामान अफगान सेना और पुलिस के लिए खरीदे गए थे। फोर्ब्स ने यह आंकड़ा अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के डिपार्टमेंट लॉजिस्टिक्स एजेंसी (DLA) के डेटाबेस को स्टडी कर इकट्ठा किया है।
दरअसल, तालिबान के खिलाफ war on terror छेड़ने वाले अमेरिका ने 2003 के बाद से अफगान सेना और पुलिस को हथियार और ट्रेनिंग पर 83 अरब डॉलर, यानी 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए। अफगानिस्तान में छूटे सैनिक साजो सामान में 5.99 लाख से ज्यादा खालिस हथियार, 76 हजार से ज्यादा सैन्य वाहन और 208 सैन्य विमान शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से ज्यादा हथियार अफगान फौज के घुटने टेकने और सरकार ढहने के बाद तालिबान के हाथ लग चुके हैं। हथियारों की इतनी तादाद एक मजबूत फौज खड़ी करने के लिए पर्याप्त है।
अमेरिकी सरकार ने ऑडिट रिपोर्ट वेबसाइट से हटाई
खास बात यह है कि जो बाइडन का प्रशासन अफगानिस्तान के लिए खरीदे गए हथियार और सैन्य उपकरणों की ऑडिट रिपोर्ट्स को छुपा रहा है। फोर्ब्स डॉट कॉम के मुताबिक इस संबंध में दो महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स को सरकारी वेबसाइट्स से गायब कर दिया गया है। अमेरिका में सरकारी खर्च से जुड़े वॉच डॉग ओपन द बुक्स डॉट कॉम (openthebooks.com) ने यह दोनों रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर पोस्ट की हैं।
तालिबान के कब्जे में अफगान वायुसेना का A-29 हमलावर विमान। तालिबान के हाथ कई अमेरिकी ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर भी लगे हैं।
पिछले ही महीने अमेरिका से पहुंचे थे सात विमान
तालिबान ने पिछले ही दिनों अमेरिका के दिए ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर और ए-29 सुपर टूकानो हमलावर विमान अपने कब्जे में ले लिया। अफगान रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने अमेरिका से पहुंचे सात नए हेलिकॉप्टरों के फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए थे। एक ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर की कीमत 150 से लेकर 270 करोड़ रुपए तक हो सकती है।
विमानों के कलपुर्जे बेचकर ही लाखों डॉलर बना सकता है तालिबान
अमेरिकी लड़ाकू विमानों को लेकर विशेषज्ञों की दो राय हैं। पहली-तालिबान इन विमानों का इस्तेमाल नहीं जानता है, लेकिन इसके कलपुर्जों को काफी महंगे दामों में बेच सकता है। अफगान सेना को दिए गए कुछ विमानों का फ्यूल टैंक ही 35 हजार डॉलर, यानी करीब 25 लाख रुपए में बेचा जा सकता है।कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान अफगान सेना के ट्रेंड पायलटों को खुद से जोड़कर या पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर इन विमानों का इस्तेमाल कर सकता है। PC-12 टोही और निगरानी विमान नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इन विमानों का तालिबान के कब्जे में आना बेहद चिंताजनक है।
1250 करोड़ के स्कैन ईगल ड्रोन भी गायब
2017 में अमेरिकी सेना को 1250 करोड़ रुपए के स्कैन ईगल ड्रोन गंवाने पड़े। ये ड्रोन अफगान नेशनल आर्मी को अपनी रक्षा के लिए दिए गए थे। अफगान सेना ने इनका फौरन इस्तेमाल तो नहीं किया, लेकिन कुछ महीनों बाद पता चला कि अफगान सेना को दिए गए ड्रोन लापता हैं।स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रीकन्स्ट्रक्शन (SIGAR) की यह ऑडिट रिपोर्ट भी उसकी वेबसाइट से हटा ली गई है।
अमेरिकी कैग के मुताबिक 6 लाख इंफेंट्री हथियार
भारतीय कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की तरह अमेरिका में काम करने वाली संस्था गवर्नमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (GAO) की रिपोर्ट के मुताबिक 2003 के बाद से अमेरिका ने अफगानी सशस्त्र बलों को 6 लाख इन्फैंट्री हथियार दिए हैं। इनमें M16 रायफल, करीब 1.62 संचार उपकरण और 16 हजार से ज्यादा नाइट विजन शामिल थे।
अगर तालिबानी इन उपकरणों के इस्तेमाल करने की तकनीक नहीं सीखते हैं तो यह जल्द ही बेकार हो जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इन उपकरणों को ऐसे देशों को बेचा जा सकता है जो अमेरिकी टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहते हैं।
15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद अमेरिकी M16 रायफल के साथ एक चौकी पर तैनात तालिबानी लड़ाके।
अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में अमेरिकी सैन्यवाहन humvee पर सवार हथियारबंद तालिबान।
आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल की तैयारी में जुटा तालिबान
इंटेलिजेंस का अनुमान है कि अब तक तालिबान हमवी समेत 2 हजार से ज्यादा बख्तरबंद गाड़ियों, UH-60 ब्लैक हॉक्स अटैक हेलिकॉप्टरों समेत 40 से ज्यादा सैन्य विमानों और स्कैन ईगल ड्रोन्स को अपने कब्जे में लेकर इनका इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है।
काबुल में तालिबानी लड़ाकों के पास रॉकेट से दागने वाले हैंडग्रेनेड यानी RPG लॉन्चर नजर आए। इस लॉन्चर पर लंबी दूरी तक निशाने लगाने के लिए अमेरिका में बना इंफ्रारेड लेजर डेजिगनेटर PEQ18 लगा है।
तालिबान की वेबसाइट पर पोस्ट की गई एक प्रोपेगैंडा फिल्म में उनका एक लड़ाका अमेरिकी कमांडो फोर्स की विशेष FN SCAR 7.62mm रायफल के साथ नजर आ रहा है। यह रायफल आमतौर पर अमेरिकी मरीन कमांडो या आर्मी रेंजर इस्तेमाल करते हैं।
15 अगस्त को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद तालिबान ने राष्ट्रपति महल को अपने कब्जे में ले लिया। इस दौरान दुनिया भर में प्रसारित तस्वीर में भी तालिबानी अमेरिकी रायफलों से लैस नजर आए।
सीनेटर्स बोले-तालिबान के कब्जे में ब्लैक हॉक देखकर सहम गए हैं
अमेरिका में रिपब्लिकन सीनेटर्स ने अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियारों का हिसाब मांगना शुरू कर दिया है। अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन को लिखे एक पत्र में सीनेटर्स ने लिखा कि वे तालिबानी लड़ाकों के कब्जे में ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर देखकर सहम गए हैं। यह सोचना भी मुश्किल है कि अमेरिकी लोगों के टैक्स से खरीदे गए आधुनिक तकनीक वाले सैन्य साजो-सामान तालिबान और उनके आतंकी सहयोगियों के हाथों में आ गए हैं। अफगानिस्तान से वापसी की घोषणा करने से पहले अमेरिकी संपत्ति को बचाना रक्षा विभाग की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए थी।