तालिबानी तो हाई स्कूल पास भी नहीं, फिर भी ताकतवर
तालिबानी शिक्षा मंत्री बोले- पीएचडी और मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं;
पंजशीर में पाकिस्तान के दखल से गुस्साए लोगों ने मंगलवार को काबुल में प्रदर्शन किया। तालिबान ने उन्हें फायरिंग कर रोक दिया। हालांकि कई प्रदर्शनकारी तालिबानियों की आंख में आंख डाले नजर आए।
तालिबान की सरकार का ऐलान होते ही शिक्षा को लेकर उसकी सोच का पता चल गया है। तालिबानी सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर ने कहा है कि पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है। मुल्लाओं और सत्ता में शामिल तालिबानी नेताओं के पास भी ये डिग्रियां नहीं हैं, यहां तक कि उनके पास तो हाईस्कूल की डिग्री भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे ताकतवर हैं।
हेरात में तालिबान विरोधी प्रदर्शन में फायरिंग, 2 लोगों की मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करने के तीन हफ्ते बाद तालिबान मंगलवार शाम को अपनी सरकार का ऐलान कर रहा था। इसी दौरान हेरात में तालिबान विरोधी प्रदर्शन चल रहे थे। इसे रोकने के लिए तालिबान ने फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 8 जख्मी हो गए। इससे पहले दोपहर में काबुल में निकाली जा रही पाकिस्तान विरोधी रैली में भी तालिबान ने हवाई फायरिंग की थी। राहत की बात ये रही कि इसमें किसी की मौत नहीं हुई। हालांकि ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें प्रदर्शनकारियों पर तालिबानी बंदूकें ताने दिख रहे हैं, लेकिन लोग डरने के बजाय आतंकियों की आंख में आंख डाले नजर आ रहे हैं।
भारत-रूस की चिंता- तालिबानी शासन में आतंकवाद बढ़ेगा
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को लेकर रूस और भारत की एक जैसी चिंताएं हैं। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों का मानना है कि तालिबानी शासन के चलते सेंट्रल एशिया में न सिर्फ अस्थिरता आएगी बल्कि आतंकवाद, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी का जरिया भी बन जाएगा। अफगानिस्तान के मुद्दे पर आज भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की रूस के सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पेत्रुशेव के साथ बैठक भी हुई है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इस बैठक में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई है।
रूस के सुरक्षा सलाहकार भारत दौरे पर हैं। आज दिल्ली में उनकी अजित डोभाल के साथ चर्चा हुई है।
अमेरिका ने कहा- तालिबान से समझौता करेगा चीन
तालिबानी सरकार के ऐलान के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन पर निशाना साधा। बाइडेन ने कहा है कि तालिबान के साथ चीन की असली समस्या है, इसलिए वह तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश करेगा, ये बात हम अच्छी तरह जानते हैं। पाकिस्तान, रूस और ईरान ने भी ऐसा ही किया है और ये सभी देश अब इसमें जुटे हैं कि आगे क्या करना है। बाइडेन ने कहा कि अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
बता दें कि बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि तालिबान को मान्यता देना फिलहाल दूर की बात है। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भी एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू की है, जिसमें उन्होंने अमेरिका से अपील की है कि तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी जाए। साथ ही उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान का नया गृह मंत्री एक आतंकी है और FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है।
तालिबान की सरकार में मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को मंत्री परिषद का प्रमुख यानी नई सरकार का मुखिया बनाया गया है। सरकार का नाम ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ होगा। तालिबान के प्रमुख शेख हिब्दुल्लाह अखुंदजादा सुप्रीम लीडर होंगे। उन्हें अमीर-उल-अफगानिस्तान कहा जाएगा।
मंगलवार की शाम को जिस सरकार का ऐलान किया गया, उसमें कुल 33 मंत्री शामिल हैं। दोहा में भारत से बातचीत करने वाले शेर मोहम्मद स्टेनेकजई को उप विदेश मंत्री बनाया गया है। महिलाओं को हक देने की बात कहने वाले तालिबान ने अपनी सरकार में किसी महिला को शामिल नहीं किया है।
अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड को गृह मंत्री बनाया
तालिबान ने अपनी सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया है। आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का चीफ सिराजुद्दीन अमेरिका की आतंकी लिस्ट में मोस्ट वॉन्टेड है। अमेरिका ने उस पर करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया है। सिराजुद्दीन हक्कानी का नेटवर्क पाकिस्तान से ऑपरेट होता है। दुनियाभर में कई आतंकी वारदातों के पीछे इसका हाथ रहा है।
अभी केयरटेकर सरकार, स्थाई के लिए बातचीत जारी
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अभी एक केयरटेकर कैबिनेट सरकार की जिम्मेदारी संभालेगी। यानी यह अंतरिम सरकार है। तालिबान का कहना है कि समावेशी सरकार के गठन को लेकर चर्चा चल रही है। तालिबान ने बिना किसी समारोह के सरकार की घोषणा की है, लेकिन आज समारोह हो सकता है। तालिबान की अंतरिम सरकार की लिस्ट इस तरह है…
प्रधानमंत्री – मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद
डिप्टी PM 1 – मुल्ला बरादर
डिप्टी PM 2 – अब्दुल सलाम हनाफी
गृह मंत्री – सिराजुद्दीन हक्कानी
रक्षा मंत्री – मोहम्मद याकूब मुजाहिद
वित्त मंत्री – मुल्ला हिदायतुल्ला बदरी
विदेश मंत्री – मौलवी आमिर खान मुतक्की
शिक्षा मंत्री – शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर
न्याय मंत्री – मौलवी अब्दुल हकीम शरिया
उच्च शिक्षा मंत्री – अब्दुल बाकी हक्कानी
ग्रामीण विकास मंत्री – यूनुस अखुंदजादा
शरणार्थी मामलों के मंत्री – खलीलउर्रहमान हक्कानी
जन कल्याण मंत्री – मुल्ला अब्दुल मनन ओमारी
पवित्रता मंत्री – शेख मोहम्मद खालिद
मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन – नजीबुल्ला हक्कानी
माइन्स एंड पेट्रोलियम मंत्री – मुल्ला मोहम्मद अस्सा अखुंद
मिनिस्टर ऑफ इलेक्ट्रिसिटी – मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसौर
मिनिस्टर ऑफ एविएशन – हमीदुल्लाह अखुंदजादा
मिनिस्टर ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कल्चर – मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वाह
मिनिस्टर ऑफ इकोनॉमी – कारी दिन मोहम्मद हनीफ
हज एंड औकाफ मिनिस्टर – मौलवी नूर मोहम्मद साकिब
मिनिस्टर ऑफ बॉर्डर्स एंड ट्राइबल अफेयर्स – नूरउल्लाह नूरी
उप विदेश मंत्री – शेर मोहम्मद स्टेनेकजई (इन्होंने ही पिछले दिनों दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी)
उप वित्त मंत्री – मुल्ला मोहम्मद फाजिल अखुंद
संस्कृति मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर – जबीउल्लाह मुजाहिद
रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ – कारी फसीहउद्दीन (ताजिक मूल के तालिबान कमांडर, इनके नेतृत्व में ही तालिबान ने पंजशीर की लड़ाई लड़ी और जीती)
सेना प्रमुख – मुल्ला फजल अखुंद
डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलिजेंस – अब्दुल हक वासिक
डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस – मुल्ला ताज मीर जवाद
नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्यूरिटी (NDS) प्रमुख – मुल्ला अब्दुल हक वासिक
चीफ ऑफ अफगानिस्तान बैंक – हाजी मोहम्मद अद्दरैस
एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ अफेयर्स – मौलवी अहमद जान अहमदी
चीफ ऑफ स्टाफ – फसिहुद्दीन