Surya Grahan 2024 में :जानें इसका अदृश्य असर और महत्व
Surya Grahan का महत्वपूर्ण स्थान है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तब सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, जिससे यह अद्भुत घटना होती है जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
Surya Grahan 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में Surya Grahan का महत्वपूर्ण स्थान है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तब सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, जिससे यह अद्भुत घटना होती है जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान शुभ कार्य, पूजा-पाठ, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए, क्योंकि ऐसा करना शारीरिक और मानसिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सर्वपितृ अमावस्या का दिन
इस वर्ष, सर्वपितृ अमावस्या 02 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी, और यह दिन वर्ष का अंतिम Surya Grahan भी है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह पितृों की याद में समर्पित है। इस अवसर पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए तर्पण करते हैं।
सूर्य ग्रहण की तिथियाँ और समय
पंचांग के अनुसार, 02 अक्टूबर को Surya Grahan की शुरुआत रात 09 बजकर 13 मिनट से होगी। इसका समापन मध्यरात्रि में 03 बजकर 17 मिनट पर होगा। इस अवधि के दौरान, ग्रहण का दृश्य भारत के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह अदृश्य रहेगा।
ग्रहण का प्रभाव
Surya Grahan के समय विभिन्न धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठान करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान साधक ध्यान और साधना करने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन अन्य सामान्य गतिविधियों से दूर रहना उचित है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और purification करने का महत्व है, जिसे पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
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कहाँ दिखेगा सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रकार से दिखेगा। विशेषकर उत्तर भारत में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। हालांकि, इस ग्रहण के दौरान धार्मिक स्थलों और मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाने की संभावना है।
सूर्य ग्रहण एक अद्वितीय खगोलीय घटना है जो केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का यह विशेष अवसर हमें अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का मौका देता है। इस दिन ध्यान और साधना के माध्यम से हमें मानसिक शांति प्राप्त करने का भी अवसर मिलता है। इसलिए, इस दिन को खास बनाने के लिए सभी श्रद्धालुओं को उचित सावधानियाँ बरतनी चाहिए।