उल्फा (आई) में दूसरे नंबर के कमांडर राजखोवा का सेना के सामने सरेंडर
नई दिल्ली। उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ के करीबी विश्वासपात्र माने जाने वाले शीर्ष उल्फा (आई) नेता दृष्टि राजखोवा ने अपने चार और साथियों के साथ बुधवार को मेघालय में सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। राजखोवा को सेना ने हिरासत में लिया है और सभी को असम लाया जा रहा है। राजखोवा को उल्फा (इंडिपेंडेंट) में दूसरे नंबर का कमांडर माना जाता है।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में वह बांग्लादेश में था और कुछ हफ्ते पहले ही मेघालय आया था। राजखोवा का समर्पण आतंकवादी समूह के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पुलिस के मुताबिक इस साल मार्च में मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स के बोबोगक्रे गांव में पुलिस दल के साथ हुई गोलीबारी में भी वह शामिल था। राजखोवा अपने संगठन के चरमपंथी समूह की केंद्रीय समिति का भी सदस्य है। उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ ने नवम्बर, 2011 में राजखोवा को उप-कमांडर-इन-चीफ के पद पर पदोन्नत किया था। उल्फा (आई) असम की स्वतंत्रता की मांग कर रहा है और सरकार ने 1990 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने एसएफ-10 कमांडो की एक टीम के साथ आज उसे दक्षिणी गारो की पहाड़ियों में स्थित बोबोगक्रे गांव के पास घेर लिया। पुलिस और कमांडो के साथ आधा घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद राजखोवा ने आत्मसमर्पण किया। राजखोवा पिछले तीन महीने से भारत-बांग्लादेश सीमा पर दोनों पक्षों के सुरक्षा बलों को एक पर्ची देकर दोनों तरफ आता-जाता रहा है। राजखोवा को पिछले महीने जाफलॉन्ग के पास देखा गया था, जब ढाका में पाकिस्तानी उच्चायुक्त इमरान सिद्दीकी उसी इलाके में एक रिजॉर्ट में छुट्टी मना रहे थे।
दरअसल भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि ढाका में पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेडियर एजाज ने हाल के महीनों में उत्तर-पूर्व के विद्रोही नेताओं से मुलाकात की है। एजाज एक स्थानीय अकादमिक के संपर्क में है जिसे पूर्वोत्तर में विद्रोहियों को समर्थन देने के लिए जाना जाता है। इसी जानकारी के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां और मिलिट्री इंटेलिजेंस सतर्क थी। उस पर पैनी नजर रखे जाने का नतीजा रहा कि आज वह भारत के हत्थे चढ़ गया और मुठभेड़ के बाद चार साथियों के साथ सरेंडर करना पड़ा। सेना ने सभी को हिरासत में ले लिया है और असम लाया जा रहा है जहां भारतीय जांच एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगीं।