दोस्त चेतन चौहान के निधन से मायूस हुएं लिटिल मास्टर सुनील गवास्कर, कहा ऐसा बुरे सपने में भी नहीं सोचा था
चेतन चौहान के बेहद करीबी सुनील गावस्कर ने अपने मित्र चेतन चौहान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। इसी के साथ उन्होंने चेतन चौहान को श्रद्धांजलि भी थी। चेतन चौहान एक बेहतरीन क्रिकेटर रहे हैं। वह गावस्कर के साथ ओपनिंग किया करते थे। चेतन चौहान की मौत गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुई। बता दें कि जुलाई में वह कोरोनावायरस संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद रविवार के दिन उनकी मौत हो गई।
ऐसे में उनके मित्र सुनील गावस्कर ने कहा, ‘आजा, आजा, गले मिल, आखिर हम अपने जीवन के अनिवार्य ओवर खेल रहे हैं। पिछले दो या तीन साल में हम जब भी मिलते थे तो मेरा सलामी जोड़ीदार चेतन चौहान इसी तरह अभिवादन करता था।’ गावस्कर ने कहा कि ‘ये मुलाकातें उसके पसंदीदा फिरोजशाह कोटला मैदान पर होती थी, जहां वह पिच तैयार कराने का प्रभारी था. जब हम गले मिलते थे तो मैं उसे कहता था ‘नहीं, नहीं हमें एक और शतकीय साझेदारी करनी है।’ और वह हंसता था और फिर कहता था ‘अरे बाबा, तुम शतक बनाते थे, मैं नहीं।’
उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपने बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि जीवन में अनिवार्य ओवरों को लेकर उसके शब्द इतनी जल्दी सच हो जाएंगे. यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि जब अगली बार मैं दिल्ली जाऊंगा तो उसकी हंसी और मजाकिया छींटाकशी नहीं होगी। शतकों की बात करें तो मेरा मानना है कि दो मौकों पर उसके शतक से चूकने का जिम्मेदार मैं भी रहा। दोनों बार ऑस्ट्रेलिया में 1980-81 की सीरीज के दौरान। एडिलेड में दूसरे टेस्ट में जब वह 97 रन बनाकर खेल रहा था तो टीम के मेरे साथी मुझे टीवी के सामने की कुर्सी से उठाकर खिलाड़ियों की बालकोनी में ले गए और कहने लगे कि मुझे अपने जोड़ीदार की हौसला अफजाई के लिए मौजूद रहना चाहिए। मैं बालकोनी से खिलाड़ियों को खेलते हुए देखने को लेकर थोड़ा अंधविश्वासी था क्योंकि तब बल्लेबाज आउट हो जाता था और इसलिए मैं हमेशा मैच ड्रेसिंग रूम में टीवी पर देखता था।
उन्होंने आगे कहा, ‘शतक पूरा होने के बाद मैं खिलाड़ियों की बालकोनी में जाता था और हौसला अफजाई करने वालों में शामिल हो जाता था। हालांकि जब डेनिस लिली गेंदबाजी करने आया तो मैं एडिलेड में बालकनी में था और आप विश्वास नहीं करोगे कि चेतन पहली ही गेंद पर विकेट के पीछे कैच दे बैठा। ‘मैं निराश था और मुझे बालकनी में लाने के लिए खिलाड़ियों को जाने के लिए कहा, लेकिन इससे वह नहीं बदलने वाला था जो हुआ था. कुछ वर्षों बाद जब मोहम्मद अजहरुद्दीन कानपुर में अपने लगातार तीसरे शतक की ओर बढ़ रहे थे तो मैंने इस गलती को नहीं दोहराया और जैसे ही उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की मैंने ड्रेसिंग रूम से निकलकर साइटस्क्रीन के पास जाकर उनकी हौसला अफजाई की।’
गवास्कर ने कहा कि, ‘हालांकि तब मीडिया के मेरे कुछ दोस्तों ने मेरे तथाकथित गैरमौजूद रहने पर बड़ी खबर बना दी। हैरानी की बात है कि उनके पास एक साल पहले कुछ लोगों की गैरमौजूदगी के बारे में कहने के लिए कुछ नहीं था, जब मैंने दिल्ली में शतक जड़कर डॉन ब्रैडमैन के 29 शतक की बराबरी की थी।’