नदी किनारे मौनी अमावस्या में श्रद्धालओं की ऐसी दिखी भीड़
प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर उमड़े श्रद्धालु, संगम में लगा रहे पुण्य की डुबकी
नई दिल्ली। माघ मेले के मुख्य स्नान पर्व, मौनी अमावस्या पर तीर्थराज प्रयाग में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा है। अब तक लाखों स्नानार्थी गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में पूण्य की डुबकी लगा चुके हैं। प्रतिकूल मौसम के बावजूद संगम समेत 17 स्नान घाटों पर आधी रात के बाद ही स्नानार्थियों का झुंड उमड़ पड़ा और भोर होते ही डुबकी शुरू हो गई। स्नान के बाद श्रद्धालु गंगा पूजन कर दान आदि कर रहे हैं। मेला प्रशासन की तरफ से स्नान घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। महिला स्नानार्थियों को कपड़ा बदलने के लिए जगह-जगह चेंजिंग रुम बनाये गये हैं।
मेला क्षेत्र में कई संस्थाओं द्वारा जगह-जगह चाय और नाश्ते का भी वितरण हो रहा है। कई संतों ने स्नानार्थियों के भोजन हेतु भंडारे की भी व्यवस्था की है। जगह-जगह अन्नक्षेत्र चलाये जा रहे हैं।
करीब 700 हेक्टेअर में बसा माघ मेला क्षेत्र शुक्रवार को दिन में ही श्रद्धालुओं से पूरी तरह पैक्ड हो गया था। पहले लोगों ने साधु-संतों और कल्पवासियों के शिविरों में आश्रय लिया लेकिन, भीड़ बढ़ने के बाद दूर-दूर से आए श्रद्धालु अपने परिवार समेत मेला क्षेत्र की सड़कों के किनारे ही डेरा डाले हुए थे। देर रात मौसम का मिजाज बदला और गरज के साथ बरसात होने लगी। इससे श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ी, लेकिन उनकी आस्था प्रतिकूल मौसम पर भी भारी पड़ी और रात्रि के अंतिम प्रहर में श्रद्धालुओं का हुजूम संगम की तरफ कूंच करने लगा।
मौनी अमावस्या का योग आज सुबह प्रारम्भ हुआ और देर रात तक जारी रहेगा। ऐसे में घाटों पर स्नान का सिलसिला देर शाम तक चलता रहेगा। शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण आज के स्नान का माहात्म्य भी बढ़ गया है। मेला प्रशासन का अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर आज दो करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखते हुए मेला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। वरिष्ठ अधिकारी देर रात से ही मेला क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं।
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या पर शनिवार को लाखों श्रद्धालुओं ने दुर्लभ संयोग खप्पर योग में पवित्र गंगा नदी में मौन रह पुण्य की डुबकी लगाई । गंगा घाटों पर दान पुण्य के बाद काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा के दरबार में भी हाजिरी लगाई। स्नान पर्व पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन के लिए लम्बी कतारें लगी रही।
महा स्नान पर्व पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए सुदूरवर्ती जिलों के श्रद्धालुओं की भीड़ शुक्रवार शाम से ही गंगातट पर पहुंचने लगी। सर्द हवाओं गलन के बीच गंगा तट और दशाश्वमेध स्थित दुकानों की पटरियों,चितरंजन पार्क में पूरी रात भजन कीर्तन कर गुजारने के बाद ब्रम्ह मुहुर्त में ओला बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। दिन चढ़ने के साथ गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। स्नान पर्व पर सबसे ज्यादा भीड़ प्राचीन दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, तुलसी घाट, पचगंगा घाट, रीवा घाट, अस्सी,गाय घाट, राजघाट, भैंसासुर घाट,खिड़किया घाट ,सामनेघाट पर रही। महास्नान पर्व को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा की दृष्टि से व्यापक इंतजाम रहा। पर्व पर एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान जहां गंगा में किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद रहे। वहीं, दशाश्वमेध से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक आला अफसर फोर्स के साथ लगातार चक्रमण करते रहे। उधर, मौनी अमावस्या पर्व पर पश्चिम वाहिनी गंगा में स्नान की परंपरा के तहत जिले के चौबेपुर क्षेत्र के बलुआ और कैथी घाटों पर भी भारी संख्या में ग्रामीण अंचल के लोग गंगा स्नान के लिए पहुंचे। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने गंगा स्नान के बाद पीपल वृक्ष की परिक्रमा की, तीर्थ पुरोहितों,भिखारियों को तिल, कंबल, वस्त्र, उड़द आदि अन्न का दान किया । इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना भी की।
गौरतलब हो धर्म नगरी काशी में स्नान, दान का अपना अलग ही महात्म्य है। लेकिन स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर मौन रह पुण्यकाल में मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने से मान्यता है जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या वैसे तो हर महीने में दो बार पड़ती है लेकिन माघ मास की अमावस्या का सनातन धर्म में अपना खास महात्म्य है। माघ मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इस कारण श्रद्धालु खास प्रयागराज त्रिवेणी संगम के तट पर एक मास तक कुटी बनाकर मायावी दुनिया से विरक्त होकर रहते है और नियमित गंगा स्नान कर भजन कीर्तन करते हैं। मौनी अमावस्या पर मौन रखकर प्रयागराज त्रिवेणी संगम या फिर बाबा की नगरी काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान कर अपने संकल्प के पूरा होने पर घर लौटते है। पूरे साल में 12 अमावस्या होती है। इसमें से मौनी अमावस्या का अपना खास महत्व है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान और दान करने का विशेष महत्व माना गया है।