आज का इतिहास
76 साल बाद भी रहस्य है नेताजी की मौत, जिस प्लेन क्रैश में उनके निधन की बात, उसका रिकॉर्ड ही नहीं
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि है। बात ठीक 76 साल पहले 18 अगस्त 1945 की है। जापान दूसरा विश्व युद्ध हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए।
5 दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके साथ विमान में सवार बाकी लोग भी मारे गए। आज भी उनकी अस्थियां टोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।
1938 के कांग्रेस अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस। इसी अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। फोटो में उनके साथ गांधीजी, सरदार पटेल और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भी हैं।
नेताजी के निधन के 76 साल बाद भी उनकी मौत रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा- नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में हुई। 1999 में तीसरा आयोग मनोज कुमार मुखर्जी के नाम पर बना। इस आयोग की रिपोर्ट में ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था।
देश के अलग-अलग हिस्सों में नेताजी के देखे जाने के दावे किए जाते रहे
नेताजी के निधन के बाद भी देश के कई इलाकों में उनको देखे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की खबरें आईं। छत्तीसगढ़ में ये मामला राज्य सरकार के पास गया, लेकिन सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके निधन के बाद उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से जुड़े लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज आयोग एवं खोसला आयोग की रिपोर्ट जैसी चीजें मिलीं।
1868: हीलियम की खोज
1868 में आज ही के दिन फ्रांस के खगोलशास्त्री जूल्स जैंसेन ने पहली बार हीलियम को ऑब्जर्व किया। भारत के गुंटूर में सूर्यग्रहण के दौरान उन्होंने सूर्य की किरणों को प्रिज्म से निकलते देखा। इस दौरान प्रिज्म से निकले स्पेक्ट्रम में एक पीली स्पेक्ट्रम लाइन दिखाई दी। शुरुआत में उन्होंने सोचा कि ये लाइन सोडियम की वजह से है।
जूल्स जैंसेन।
इसी साल जोसेफ नॉर्मन ने भी सूरज की किरणों में इसी तरह की पीली लाइन को देखा। जोसेफ ने सोडियम की लाइन का अध्ययन किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि ये लाइन सोडियम से निकलने वाली D1 और D2 लाइन से अलग है। उन्होंने इसे D3 नाम दिया। उन्होंने ये भी पता लगाया कि सूरज की रोशनी में मौजूद किसी तत्व की वजह से ये पीली लाइन दिखाई दे रही है। उन्होंने इसे हीलियम नाम दिया। ग्रीक भाषा में सूरज को हीलियम कहा जाता है।
1895 में ब्रिटिश केमिस्ट विलियम रामसे ने पहली बार धरती पर हीलियम मौजूद होने की पुष्टि की। उन्होंने देखा कि रेडियोएक्टिव मिनरल क्लेवीट को गर्म करने पर इसके स्पेक्ट्रम में एक पीली लाइन है। ये पीली लाइन सूरज की रोशनी में मौजूद स्पेक्ट्रम में भी देखी गई है। इस स्टडी के बाद उन्होंने धरती पर हीलियम के होने की पुष्टि की।
18 अगस्त को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
2013: पश्चिम बंगाल में एक बस में हुए विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई।
2008: पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
1951: IIT खड़गपुर की स्थापना हुई। ये देश का पहला IIT है।
1934: फिल्म निर्देशक, गीतकार और कवि गुलजार का जन्म हुआ।
1920: अमेरिका में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिला।
1900: यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली की पहली महिला अध्यक्ष विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ।