इलाहाबद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा साइबर अपराध
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि साइबर ठग (Cyber Crime) दीमक की तरह देश को खोखला कर रहे हैं. देश की आर्थिक स्थिति कमजोर कर रहे हैं. साइबर ठगी का पैसा न डूबे इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. ईमानदार गरीब नागरिकों की गाढ़ी कमाई साइबर ठगी से कैसे सुरक्षित हो, इस मामले में केंद्र व राज्य सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि बैंक व पुलिस की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। याचिका की सुनवाई 14 सितंबर को होगी. यह आदेश जस्टिस शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है.
कोर्ट ने एसपी क्राइम यूपी, एसपी क्राइम प्रयागराज व निरीक्षक साइबर क्राइम से पूछा था कि प्रदेश व प्रयागराज में एक लाख से अधिक व एक लाख से कम की साइबर ठगी के दर्ज अपराधों व उनकी स्थिति क्या है. लेकिन अधिकारियों के हलफनामे संतोषजनक नहीं मिले. उससे लगता है बैंक व पुलिस दोनों गंभीर नहीं है. सही प्रयास नहीं किए गए. लोगों की जीवन की पूंजी लुट गयी. उनसे कह दिया जाता है कि ठगी दूर दराज इलाके से हुई. नक्सल एरिया में पुलिस भी जाने से डरती है. धन वापसी मुश्किल है. लोग भाग्य को दोष देकर बैठ जाते हैं. बैंक व पुलिस की सुस्ती का लाभ साइबर अपराधी उठाते हैं. कोर्ट ने कहा जब जज भी सुरक्षित नहीं तो आम आदमी के बारे में क्या कहा जाए. राज्य सरकार को ठगी रोकने और बैंक व पुलिस की जवाबदेही तय करनी चाहिए.
जिम्मेदारी तय किया जाना जरूरी
कोर्ट ने कहा कि पूर्व जज से एक लाख की ठगी हुई. गिरफ्तार अभियुक्त ने कहा गिरोह काम करता है. ये गाढ़े समय या शादी आदि के लिए जमा पैसे निकाल कर लें जाते हैं. उनके अरमानों पर पानी फेर देते हैं. बिचौलिए लोगों का पैसा न खा जाएं इसके लिए प्रधानमंत्री ने जन-धन खाते खुलवाए. सरकारी योजनाओं का पैसा खाते में जमा किया जा रहा है.अदालत काला धन रखने वाले सफेद पोश की बात नहीं कर रही, वह ईमानदार गरीब नागरिकों की बात कर रही, जिनका पैसा बैंक में जमा होता है. जो देश के विकास में खर्च होता है. ठगों की वजह से गरीब का पैसा बैंक में भी सुरक्षित नहीं है. जमा पैसे की गारंटी लेनी होगी. जिम्मेदारी तय हो कि गरीब का पैसा कैसे वापस आये. इसकी जिम्मेदारी किस पर तय हो. ग्राहकों के पैसे कैसे सुरक्षित हो, जिम्मेदारी तय किया जाना जरूरी है. केन्द्र, राज्य व रिजर्व बैंक से जवाब मांगा गया कि बताएं किस प्रकार ग्राहक का पैसा सुरक्षित हो.