150 आदमियों को खाने वाले पाकिस्तान के खूंखार भाइयों की कहानी!
मानव विकास से पहले आदिमानव के रूप में किसी जानवर से कम नहीं था। आदिमानव भी अपनी भूख फल और मांस खाकर भरते थे। हालाँकि समय और मस्तिष्क विकास के साथ मनुष्य को सही और गलत में फर्क करने की शक्ति आई। इंसान सर्वभक्षक बेशक रहा, मगर भूख मिटाने के लिए कभी किसी और इंसान को भोजन नहीं बनाया। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन दो खूंखार भाइयों के बारे में, जिन्होंने 150 आदमियों को खाया है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के भक्कर जिले से दो खूंखार आदमियों को पकड़ा गया है। दरया खान इलाके के ख्वावार कलन गाँव के निवासी मोहम्मद फरमान अली और मोहम्मद आरिफ अली नरभक्षी हैं। जानकारी के अनुसार, ये दोनों भाई शादीशुदा हैं। लेकिन इन दोनों द्वारा मारपीट और गालीगलौज से तंग आकर इनकी पत्नियां इन्हे छोड़कर चली गयी थी।
गौरतलब है कि दोनों भाईयों के नरभक्षी होने का पता पहली बार साल 2011 में लगा। उस समय, उनके घर के पास के एक कब्रिस्तान से सायरा परवीन नामक एक महिला का शव अचानक गायब हो गया था। उसकी मृत्यु कैंसर की वजह से हुई थी। सायरा को दफ़नाने के अगले दिन जब उसके घरवाले वहां आये तो उन्होंने सायरा की कब्र खुदी देखी जिसमे से उसका शव गायब था। सायरा के शव के लापता होने की सूचना मिलते ही पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी। छानबीन के दौरान सायरा के शव को गायब करने में फरमान और आरिफ का हाथ पाया गया।
इसके बाद पुलिस दोनों भाइयों के घर पहुँच गयी। तलाशी में पुलिस को अंदर वाले कमरे में एक पतीले में करी रखी हुई मिली। पूरे घर की तलाशी करने पर पुलिस ने एक बोरी में सायरा का शव बरामद किया। पुलिस ने देखा कि सायरा के शव के टुकड़े किये हुए थे। यह देखकर पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया। वहीँ, करी वाले पतीले को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भिजवा दिया गया। जांच में पाया गया कि वह करी इंसानी मांस की बनी थी। इसको लेकर दोनों भाइयों से सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने अपना गुनाह क़ुबूल कर लिया।
फरमान और आरिफ ने बताया कि वे ताज़े दफनाए गए मुर्दों को घर ले जाकर उनकी करी बनाकर खाते हैं। इसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया। चूँकि पाकिस्तान के संविधान में ऐसे अपराध के लिए कोई सजा तय नहीं थी, सो दोनों पर कब्र से छेड़छाड़ करने और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया। अदालत ने दोनों भाईयों को दो-दो साल की सजा और 50-50 हजार रुपये प्रत्येक पर जुर्माना लगाया। सजा पूरी कर मई 2013 में दोनों भाई जेल से रिहा हो गए। जेल से रिहा होकर जब वे अपने गाँव पहुंचे, तो लोगों ने उनकी रिहाई का विरोध किया और उनसे जान का खतरा बताया। इसके चलते दोनों भाइयों ने एक दूसरे से मिलना, और घर से बाहर निकलने भी ख़त्म कर दिया। हालाँकि उनकी यह दरिंदगी तब भी बंद नहीं हुई।
वर्ष 2014 में एक बार फिर दोनों भाइयों के घर से सड़े हुए मांस की बदबू आने लगी। जब स्थानीय लोगों की इस शिकायत पर पुलिस ने उनके घर की छानबीन की तो उन्हें एक बार फिर वैसी ही इंसानी मांस की बनी करी मिली। इसके साथ ही पुलिस को उनके घर से एक दो साल के एक बच्चे का सिर बरामद हुआ जिसे उन्ही दिनों कब्रिस्तान में दफनाया गया था। पुलिस ने एक बार फिर दोनों को गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश किया। लेकिन इस बार भी कोई कानून तय नहीं होने के चलते यह मामला पंजाब के सरगोधा में आतंकवाद निरोधक अदालत को सौंप दिया गया। सुनवाई के बाद अदालत ने बच्चे की कब्र के साथ छेड़छाड़ करने और आतंक फैलाने के जुर्म में दोनों भाइयों को 12-12 साल की सजा सुनाई। जिसके बाद से अब तक दोनों खूंखार नरभक्षी भाई जेल में कैद हैं।