छत्तीसगढ़ के कालीचरण की कहानी पंकज त्रिपाठी के ‘कागज’ जैसी
बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘कागज’ से काफी मिलती जुलती है छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला के कालीचरण विपता की कहानी।
उन्हें भी 1958 में सरकारी कागजों पर मार दिया गया, लेकिन वह जीवित हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं। कोरिया जिले के पटना थाना के तहत आने वाले बुधार गांव के निवासी कालीचरण विपता मुश्किल से चल-फिर सकते हैं, लेकिन वह न्याय के लिए अपनी तहसील के सभी राजस्व कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
कालीचरण 79 साल के वृद्ध हैं। उन्होंने कहा, “यह सबसे दुखद बात है, जो मैंने इस उम्र में देखा है। मैं छत्तीसगढ़ सरकार से अपील करता हूं कि वह मुझे फिर से जीवन दे।”
कलेक्टर और जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दिए गए अपने आवेदन में यादव ने आरोप लगाया कि अक्टूबर 2020 में ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा बिना किसी जांच के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।
कालीचरण के पोते लक्ष्मण यादव का कहना है, “मेरे दादाजी ने लगभग छह महीने पहले तहसील कार्यालय में फ़र्ज़ बंटवारा (पारिवारिक भूमि का विभाजन) के लिए एक आवेदन दिया था। मेरे दादाजी दो भाई थे, कालीचरण और रामचरण। लगभग पांच साल पहले, रामचरण की मृत्यु हो गई और जब जनवरी 2021 में आवेदन तहसील कार्यालय में पहुंचा, तो रामचरण के बेटे ने आपत्ति दर्ज की और एक मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।“
कालीचरण विपता ने कलेक्टर को लिखे अपने पत्र में कहा, ”मुझे मेरे बड़े भाई रामचरण के बेटे श्यामलाल ने ‘मृत’ घोषित कर दिया है। मैं इस मृत प्रमाणपत्र को जारी करने के लिए सभी संबंधित पंचायत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता हूं। श्यामलाल अवैध रूप से मेरी ज़मीन का अतिक्रमण करना चाहता है और इसलिए वह मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करने में कामयाब रहा।”
कालीचरण के वकील अरविंद कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने तहसील कार्यालय में एक आवेदन प्रस्तुत किया है कि जिस व्यक्ति ने कालीचरण का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है, उसे सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ तलब किया जाना चाहिए।
वकील ने कहा, “मृत्यु प्रमाण पत्र पंचायत सचिव द्वारा जारी किया गया था। जारी किया गया प्रमाण पत्र नकली है और हमें उम्मीद है कि अदालत संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी।”