हरियाणा ऑनरकिलिंग की कहानी ‘सैराट’ और ‘धड़क’ जैसी
छोटे भाई ने इंटरकास्ट लव मैरिज करने वाली बहन के घर भेद लेने के लिए शुरू किया आना-जाना, बड़े ने साजिश रच उजाड़ दिया परिवार
हरियाणा में खरखौदा के जिस ऑनरकिलिंग मामले में अदालत ने 12 अक्टूबर को एक दोषी को फांसी की सजा सुनाई, उसकी कहानी बिल्कुल ‘सैराट’ और ‘धड़क’ फिल्मों जैसी है। ऊंची जाति की सुशीला ने दलित परिवार के प्रदीप से लव मैरिज की तो सुशीला के छोटे भाई मोनू ने पहले बहन से मेलजोल बढ़ाकर उसका भरोसा जीता और उसके ससुराल वालों के बारे में जानकारी जुटाई।
सुशीला के सास-ससुर ने उसे मोनू के बारे में आगाह किया मगर भाई के प्रेम में डूबी सुशीला ने उनकी चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। सुशीला और उसके ससुराल वालों की पूरी जानकारी जुटाने के बाद मोनू ने मौका पाकर अपने बड़े भाई सोनू के साथ मिलकर सुशीला के पति प्रदीप, ससुर सुरेश (60) और सास सुनीता (45) की गोलियां मारकर हत्या कर दी। दोनों ने बहन सुशीला और उसके दिव्यांग देवर सूरज को भी नहीं बख्शा।
मारे गए प्रदीप की दादी धन कौर (80) वारदात की इकलौती गवाह थीं। धन कौर ने पुलिस को बताया, ‘18 नवंबर 2016 शुक्रवार की रात गली से किसी ने मेरे पोते प्रदीप को आवाज लगाई और घर का गेट खटखटाया। प्रदीप ने पहले खिड़की का पर्दा हटाकर देखा और परिचित को देखकर दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खुलते ही हमलावरों ने प्रदीप पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं।
अचानक गोलियां चलने की आवाज से हम सब भौंचक रह गए। उसके बाद एक लड़का अंदर घुसा और मेरे बेटे सुरेश (60) और उसकी पत्नी सुनीता (45) को गोलियां मार दीं। दिव्यांग पोते सूरज ने विरोध करने की कोशिश की तो उसे भी गोली मार दी गई। हमलावरों ने सुशीला को भी नहीं बख्शा। सब कुछ 10 मिनट में हो गया। बेटे सुरेश, उसकी पत्नी सुनीता और पोते प्रदीप ने वहीं दम तोड़ दिया।’
बेटी से बदला लेने के लिए मोनू-सोनू को उकसाता था पिता
सुशीला झज्जर के बिरधाणा गांव में रहने वाले ओमप्रकाश की बेटी थी। बेटी सुशीला और प्रदीप की इंटरकास्ट लव मैरिज से ओमप्रकाश बेहद नाराज था इसलिए वह खरखौदा में रहकर सुशीला के ससुराल की रेकी करने के साथ-साथ अपने दोनों बेटों सोनू और मोनू को बदला लेने के लिए उकसाता रहा। दोनों भाई भी इंटरकास्ट लव मैरिज से बहुत नाराज थे।
पुलिस ने जब सुशीला के बड़े भाई सोनू को गिरफ्तार किया तो उसने कबूल किया कि बहन की लव मैरिज उनके परिवार को मंजूर नहीं थी। इसलिए पहले पूरी प्लानिंग के तहत छोटे भाई मोनू को सुशीला के घर भेजा और उसके परिवार का भरोसा जीतने के बाद सबकी हत्या की।
सोनू और हरीश का पहले से आपराधिक रिकॉर्ड
इस हत्याकांड में सुशीला के दोनों भाइयों के अलावा उनकी बुआ का लड़का हरीश भी शामिल था। हसनपुर गांव के हरीश और सोनू का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है। वारदात के बाद दोनों फरार हो गए। हत्याकांड में इस्तेमाल कार झज्जर से लूटी गई थी। दोनों पर झज्जर, रेवाड़ी, गुरुग्राम, नारनौल और दादरी में हत्या, डकैती, लूट और धमकाने के कई मामले दर्ज हैं।
हरीश ने 2008 में अपनी बुआ और फुफेरे भाई पर भी जानलेवा हमला किया जिसमें फुफेरा भाई मारा गया। इसमें हरीश को उम्रकैद हो गई। सुशीला के ससुरालवालों की हत्या के समय वह 42 दिन की पैरोल पर आया हुआ था।
पति को बचाने के लिए जान पर खेल गई सुशीला
वारदात के समय सुशीला नौ महीने की गर्भवती थी और वह अपने पति प्रदीप को बचाने के लिए जान पर खेल गई। घर में घुसकर अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे हत्यारों के सामने सुशीला बहादुरी से डटी रही। आरोपियों ने प्रदीप के माथे को निशाना बनाकर गोली चलाई तो सुशीला ने अपना बायां हाथ बीच में अड़ाकर उसे बचा लिया।
प्रदीप को एक गोली मारने के बाद हत्यारों ने जब दूसरी गोली उसके माथे पर मारी तो सुशीला ने हाथ बीच में कर दिया। गोली सुशीला का हाथ चीरते हुए निकल गई। इसके बाद हत्यारों ने गर्भवती सुशीला को तीन गोलियां मारीं। मुंह पर पहली गोली लगने के बाद सुशीला प्रदीप को बचाने के मकसद से उसके ऊपर गिर गई। इसके बाद हत्यारों ने उसकी कमर में दो गोलियां और मारीं।
जब हमलावर भागने लगे तो घायल सुशीला उन्हें पकड़ने के लिए पीछे भी लपकी। घायल सुशीला को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने बेटे को जन्म दिया। प्रदीप की ललिता घटना वाले दिन अपने ताऊ के घर थी, इसलिए बच गई।
परिवार को नहीं थी दोनों के संबंधों की जानकारी
प्रदीप के पिता सुरेश मजदूर थे। प्रदीप के चाचा जगदीश ने बताया कि प्रदीप और उसकी बहन ललिता पढ़ने में होशियार थे इसलिए पूरा परिवार चाहता था कि दोनों पढ़ाई पूरी करें। प्रदीप ने जियोग्राफी में ग्रेजुएशन की तो उसकी बहन ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की।
रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय सुशीला और प्रदीप एक-दूसरे के संपर्क में आए। प्रदीप के परिवार को उसके और सुशीला के प्रेम संबंधों की जानकारी नहीं थी।
बेटी के गायब होने पर धमकाया था परिवार को
प्रदीप के ताऊ ओमप्रकाश ने बताया कि उनके परिवार को तो प्रदीप और सुशीला के के प्रेम संबंधों का पता तब चला जब सुशीला अपने घर से गायब हो गई। उसके पिता ओमप्रकाश और दोनों भाई सुशीला को ढूंढते हुए उनके गांव आए और प्रदीप के परिवार को जान से मारने की धमकी दी। उस समय प्रदीप भी घर से गायब था। सुशीला के परिवार की धमकी से वह लोग डर गए।
शादी कर चुके प्रदीप और सुशीला भी डेढ़ साल तक लगातार अपना ठिकाना बदलते रहे। सुशीला और प्रदीप ने अपनी शादी रजिस्टर्ड करवाई और पुलिस सुरक्षा में गोपनीय तरीके से रहने लगे। दोनों कुछ समय चंडीगढ़ भी रहे। प्रदीप को डर था कि यदि वह गांव लौटे तो सुशीला के पिता उन्हें खत्म करवा देंगे।
दो साल बाद गांव लौटे प्रदीप-सुशीला
शादी के दो साल बाद जब सब कुछ शांत होने लगा तो प्रदीप और सुशीला खरखौदा लौट आए। प्रदीप ने सैदपुर की एक निजी कंपनी में काम शुरू कर दिया। कुछ महीने बाद सुशीला का छोटा भाई मोनू पहली बार बहन से मिलने आया। मोनू रक्षाबंधन पर सुशीला से राखी बंधवाने आया और दिवाली भी उनके घर में मनाई।
धीरे-धीरे प्रदीप के परिवार को लगने लगा कि शायद सुशीला के परिवार के कुछ लोग दोनों की लव मैरिज को स्वीकार करने लगे हैं और सब कुछ सामान्य हो सकता है। हालांकि मोनू का मेल जोल बढ़ाने का असली मकसद उनके परिवार के बारे में जानकारियां जुटाना था।
उसने पहले बहन सुशीला का भरोसा जीता और जैसे ही मौका लगा, बड़े भाई सोनू व फुफेरे भाई हरीश के साथ मिलकर हमला कर दिया। हत्याकांड के बाद से मुख्य आरोपी सोनू फरार है। पुलिस आज तक उसका पता नहीं लगा पाई। सोनू पर 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा है।
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