उत्तराखंड के वन्यजीव बोर्ड ने लिए ताबड़तोड़ फैसले, नही बनेगा ये वन्यजीव अभ्यारण्य
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून(Dehradun) में शनिवार को उत्तराखंड(Uttarakhand) के प्रदेश वन्यजीव बोर्ड की 13वीं वार्षिक बैठक रखी गई। इसमें राज्य वन्यजीव बोर्ड ने कई बड़े फैसले लिए। कंडी मार्ग और नंधौर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य बनाने की योजना को स्थगित करने के साथ ही राज्य वन्यजीव बोर्ड(State Wildlife Board) ने कई योजनाओं को हरी झंडी दिखाई। इनमे से अभ्यारण्य और सड़कों के निर्माण को लेकर योजनाएं भी शामिल थी।
शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत(Trivendra Singh Rawat) की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में लालढांग चिलरखाल मोटर मार्ग को हरी झंडी मिल गई है। इस मार्ग के निर्माण से कोटद्वार से हरिद्वार तक यात्रियों को काफी सुविधा होगी। इसके साथ ही कई बॉर्डर रोड को भी बोर्ड ने हरी झंडी दिखा दी है। वन मंत्री हरक सिंह रावत(Harak Singh Rawat) ने कहा कि करीब 16 सड़कों के प्रस्तावों को बोर्ड ने हरी झंडी दी है। वहीँ आरक्षित, अभ्यारण्य, नेशनल पार्क से लगे गांवों में इको-विकास समिति का गठन किया जाएगा। वन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पार्क और अभ्यारण्य के बफर और कोर जोन में स्थित गांवों को सोलर लाइट (Solar Light) भी मुहैय्या कराई जाएगी। गौरतलब है कि बोर्ड ने मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए फोर्स का गठन करने का भी फैसला किया है। वन्यजीव बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया कि प्रदेश में सभी अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क में भी फोर्स का गठन किया जाएगा। बोर्ड ने वॉलंटरी फोर्स बनाने का भी निर्णय लिया है।
निगरानी समिति का गठन
इसके साथ ही घाटी में मछली पकड़ने(एंगलिंग खेल) के लिए भी अनुमति दी गई है। एडवेंचर स्पोर्ट्स प्रेमियों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए एंगलिंग(Angling) के लिए हामी भरी गई। पिछले साल, वन विभाग इसपर बैन लगाने का विचार कर रही थी। बैठक में उत्तराखंड में पशुओं की बढ़ती आबादी के प्रबंधन के लिए एक दीर्घकालिक वैज्ञानिक योजना पर चर्चा की गई। उत्तराखंड में बफर जोन के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में कस्तूरी मृग और राज्य पक्षी मोनाल के संरक्षण और सौर प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने का भी निर्णय लिया गया। इसके साथ ही बैठक ने निर्णय लिया कि राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के वन्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति वर्तमान में चल रहे निर्माण कार्यों के कारण हुए भूस्खलन(Landslide) की संख्या पर भी नजर रखेगी।