भय और भ्रांति को दरकिनार कर सेवा में जुटीं स्टॉफ नर्सेज
कोविड के बढ़ते संक्रमण के बीच जहां कोविड उपचाराधीनों और उनके परिवार के प्रति लोग भेदभाव बरत रहे हैं और करीबी लोग भी दूरी बना ले रहे हैं, वहीं अस्पतालों में स्टॉफ नर्सेज चिकित्सक के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रही हैं। इन नर्सों ने भय और भ्रांति को दरकिनार कर दिया है। सौ सैय्या बेड के लेवल टू कोविड अस्पताल की नर्जेस पीपीई किट पहन कर कोविड मरीजों की सेवा करती हैं। उनका कहना है कि पहले तो उन्हें काफी डर लगता था लेकिन सुरक्षात्मक तरीके से लगातार काम करने के कारण यह थोड़ा सा कम हुआ है। बीमारी के प्रति भ्रांतियों के कारण डर कहीं ज्यादा लगता है, लेकिन बीमारी के प्रति समझ विकसित हो जाने से दिक्कत थोड़ी कम होती है।
स्टॉफ नर्स रूकैय्या खातून का कहना है कि कोविड मरीज को सबसे ज्यादा आवश्यकता मानसिक संबल की होती है। उनका मनोबल बढ़ाने के अलावा उनकी व्यक्तितग हाइजिन का विशेष ध्यान रखना होता है। घर पर पति और भाई-बहन भी रहते हैं। ड्यूटी से वापस जाने के बाद उनकी भी पर्सनल हाइजिन और पोषकता का ध्यान रखना होता है। एहतियातन रूकैय्या घर पर खुद को आइसोलेट रखती हैं। रवैय्या ने 24 अप्रैल से कोविड ड्यूटी शुरू की। जब ड्यूटी शुरू की तो सिर्फ डर लगता था लेकिन अब आत्मसंतुष्टि महसूस होती है। उनका कहना है कि हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. एके सिंह और चिकित्सक डॉ. एएन त्रिगुण नर्सेज को पर्याप्त सपोर्ट करते हैं और सभी की सुरक्षा का विशेष तौर पर ध्यान रखते हैं।
स्टॉफ नर्स दमयन्ती ने लखनऊ से नर्सिंग की पढ़ाई की थी। वह कहती हैं कि वार्ड में चिकित्सक के साथ इमर्जेंसी ट्रे लेकर जाना पड़ता है। मरीजों को दवाएं समय से लेने के लिए प्रेरित करना पड़ता है। उन्हें उनकी भाषा में सलाह देनी होती है। सबसे बड़ी चुनौती होती है मरीजों के भीतर के डर को कम करना। परिवार में दादी, पति और दो छोटे बच्चे हैं। ड्यूटी के दौरान उनसे आइसोलेट रहना होता है। परिवार से दूरी बना कर रखना बेहद आवश्यक है। जनता से अपील है कि वह दो गज की दूरी, मॉस्क के इस्तेमाल और स्वच्छता के नियमों का पालन करें ताकि अस्पताल आने की आवश्यकता ही न पड़े। इन्हीं उपायों के पालन से हम परिवार की भी रक्षा कर रहे हैं।
स्टॉफ नर्स अर्चना सिंह का कहना है कि पढ़ाई के दौरान जो बातें सिखाई गयीं थीं उनका इस्तेमाल कोविड काल में हो रहा है। अस्पताल में कुछ मरीजों के तिमारदार भी आ जाते हैं। उनका बचाव करने के लिए उन्हें परामर्श देना पड़ता है। मरीज और उसके परिजन दोनों के मन से डर को कम करना पड़ता है। डर खत्म होने से मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। अर्चना के घर पर दो बहन, एक भाई और मम्मी-पापी भी साथ रहते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए आइसोलेट रहना पड़ता है। घर में भी मॉस्क, दो गज दूरी और सुरक्षा के नियमों का पालन करना पड़ता है।
स्टॉफ नर्स सोनम कुमारी का कहना है कि कोविड के दौर में काम करने के कई नये तरीके सीखने को मिले हैं। वार्ड के चिकित्सक और नोडल अधिकारी डॉ. एएन त्रिगुण का विशेष सहयोग मिलता था। कार्य के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन किया। कोविड नियमों का पालन करते हुए भाई, दो बहन और माता-पिता की बीमारी से रक्षा की है। मरीजों को दवा के साथ-साथ एक बेहतर काउंसलर की आवश्यकता होती है। एक नर्स के तौर पर काउंसिलिंग देकर मरीजों के मन में बैठे डर को कम किया जिससे काफी लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ। इससे मन को संतोष मिला।
1000 नर्सेज दे रहीं हैं सेवाएं
कोविड काल में कोरोना मरीजों की सेवा के अलावा प्रसव सेवाओं और नॉन कोविड सेवाओं में जिले की करीब 1000 नर्सेज स्वास्थ्य विभाग की तरफ से योगदान दे रही हैं। इस विषम समय में उनके योगदान की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। सौ सैय्यायुक्त टीबी अस्पताल समेत जिले के सभी नर्सिंग स्टॉफ को नर्सेज डे की शुभकामनाएं।