सपा की मुश्किलें खत्म होने का नहीं ले रही नाम, क्या अब विधान परिषद में छिन जाएगी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 10 सीटें जरूरी
लखनऊ. सपा की सियासी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आए दिन कोई ना कोई मुश्किलें बढती जा रही है। ऐसे में अब लगातार तीन चुनाव हारने के बाद समाजवादी पार्टी से विधान परिषद में नेता विपक्ष का पद भी छिन सकता है। सपा के मौजूदा समय में 17 सदस्य हैं जिसमें से 6 जुलाई तक बारह सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। उसके बाद सपा के पास सिर्फ 5 विधान परिषद सदस्य रह जाएगें। आपको बता दें कि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 10 सीटें जरूरी हैं।
बता दे कि विधान परिषद में कुल सीटों की संख्या 100 है। हाल ही में सम्पन्न हुए विधान परिषद के चुनावों में 33 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद से उच्च सदन में भाजपा की सीटों की संख्या 68 हो गई है। 2 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं और एक सीट राजा भइया की जनसत्ता लोकतांत्रिक दल को मिली है। भाजपा अपने स्वर्णिम काल में है, उसे पहली बार उच्च सदन में बहुमत मिला है। जुलाई में विधानसभा कोटे से 13 सीटें खाली होगी जिस पर जून में ही चुनाव होना है।
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए न्यूनतम 10 सीट
अगर आंकड़ों की बात करें तो एक सीट के लिए 31 विधायकों के वोट जरूरी होते हैं। संख्या बल के हिसाब से सपा गठबंधन की हैसियत 125 विधायकों के साथ महज चार सीटें जीतने की है। इस हिसाब से समाजवादी पार्टी के सदस्यों की सदन में संख्या 9 हो जाएगी। मगर फिर भी समाजवादी पार्टी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए न्यूनतम 10 सीट से एक सीट दूर ही रहेगी तो ऐसी स्थिति में सपा का हाल वही हो सकता है जो लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का हुआ था।
अखिलेश नेता प्रतिपक्ष रहेंगे या नहीं
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष रहे अहमद हसन की मृत्यु और ठाकुर जयवीर सिंह के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से दो सीटें खाली हुई हैं, इन सीटों पर विधायकों के संख्या बल के आधार पर भाजपा आसानी से अपने प्रत्याशियों को जीता सकती है। बसपा का महज एक प्रत्याशी ही बचेगा, कांग्रेस का तो उच्च सदन से सूपड़ा ही साफ हो जाएगा। बता दें कि 28 अप्रैल को बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी, और मधुकर जेटली का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद 26 मई को राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार और संजय लाठर का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा, लाठर मौजूदा समय में विधान परिषद में नेता प्रतिपणक्ष हैं। ये सभी सीटें राज्यपाल द्वारा नामित थी जिनपर इस बार भाजपा के सदस्य नामित होगे। इसके बाद सपा के जगजीवन प्रसाद, कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, शतरूद्र प्रकाश, बलराम यादव और राम सुंदर दास निषाद का भी कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त हो जाएगा। शतरूद्र प्रकाश विधानसभा चुनावों के पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं। 6 जुलाई के बाद समाजवादी पार्टी के महज पांच सदस्य राजेन्द्र चौधरी, नरेश उत्तम पटेल, आशुतोष सिन्हा, डाक्टर मान सिंह यादव और लाल बिहारी यादव ही विधान परिषद में बचेंगे।