बीजेपी को गाने से ही दिया सपा ने जवाब , अब योगी का गुंडा राज निशाने पर
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव को लेकर अपना कैंपेन सॉन्ग जारी कर दिया है। ये कैंपेन सॉन्ग भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लेते हुए जारी किया गया है।महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरा गया है। गाने में अपने अधिकार के लिए लड़ रहे छात्र एवं युवा-युवतियों पर पुलिसिया लाठीचार्च को दिखाया गया है। आवारा पशुओं से किसानों को हो रही परेशानी को भी जगह दी गई है।इसके अलावा सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार, कोरोना के दौरान अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था और सरकारी स्कूलों की दयनीय हालत का भी जिक्र किया गया है। गाने में मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को दिखाते हुए उन्हें हटाने की बात कही गई है। जाहिर है कि इस वीडियो सॉन्ग के बाद भारतीय जनता पार्टी तिलमिला उठी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय के चुनाव सत्ताधारी बीजेपी के लिए चुनाव जीतना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हमेशा से यह माना जाता रहा है कि बीजेपी शहर की पार्टी है। जब जबकि समाजवादी पार्टी गांव दलितों पिछड़ों और गरीबों की पार्टी है।इसीलिए इस चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी लगातार अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी है। उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियां उम्मीदवारों को लेकर कमर कस चुकी हैं ।
नगर निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी की दांव पर लगी है। बीजेपी नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं रहा है और सरकार में रहते हुए उस पर बड़ा दबाव है। लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ेपन का शिकार होती जा रही है । बीजेपी को सपा और निर्दलीयों ने कड़ी टक्कर दी थी।नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी से दो गुना ज्यादा निर्दलीय जीते थे। इस बार सपा कांग्रेस और बसपा ने विधानसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी, जिसके चलते बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है।
वहीं यूपी निकाय चुनाव दो चरणों में होगा। 18 में से 9 मंडलों में 4 मई को पहले चरण में तथा बाकी 9 मंडलों में दूसरे चरण में 11 मई को मतदान होगा। इस तरह सूबे के कुल 75 जिलों में मतगणना 13 मई को होगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की 762 नगरीय निकाय में से 760 निकायों में चुनाव हो रहे हैं, जिसमें नगर निगम महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटें शामिल हैं. इसके अलावा करीब 13 हजार वार्ड पार्षद पद के लिए भी चुनाव हो रहे हैं। इसके लिए सीटों के आरक्षण की लिस्ट भी बकायदा जारी कर दी गई है और चुनावी घोषणा के साथ अब सियासी दलों के लिए अग्निपरीक्षा की घड़ी है।