गोरखपुर: सीएम सिटी की सोलह सड़कें शहरवासियों को दें रही हैं सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश
गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर देश के उन चुनिंदा शहरों में शुमार हैं, जो लॉकडाउन-2.0 में भी कोरोना मुक्त है. इसके पीछे प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की मुस्तैदी के साथ कोरोना फाइटर्स का हर मोर्चें पर डटकर खड़ा होना भी प्रमुख कारण है. लेकिन, सबसे ज्यादा सहयोग शहर की जनता ने खुद को घरों में कैद कर किया है. जो किसी कारण शहर की सड़कों पर निकल भी रहे हैं, उन्हें शहर की सोलह सड़कें सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश देकर कोरोना से बचने की सीख दे रही हैं.
शहर के सर्राफा मंडल की ओर से ये पहल की गई है. सर्राफा मंडल की ओर से शहर की 16 मुख्य सड़कों को चुनने के बाद वहां पर रंग-बिरंगे रंगों से सोशल डिस्टेंसिंग का स्लोगन लिखकर लोगों को संदेश देने का प्रयास किया गया है. खुद खड़े होकर इस काम को पूरा करा रहे व्यापारी अनूप अग्निहोत्री ने बताया कि वे 16 चौराहों पर इसे लिखवा रहे हैं. अभी चार चौराहों पर इस स्लोगन को लिखवाया गया है.
इस स्लोगन में ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि साफ-सफाई रखने के लिए हाथ को धोएं और सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करने के लिए एक मीटर की दूरी बनाकर रहें. अनूप बताते हैं कि स्लोगन लिखवाने के लिए जिला प्रशासन ने अनुमति ली गई है. इस स्लोगन में लिखा है ‘सोशल डिस्टेंसिंग साफ-सफाई, यही है कोरोना की दवाई’ लोगों को जागरूक तो कर ही रहा है. वे कहते हैं कि इसमें वे 10 प्रतिशत भी सफल हुए, तो ये उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
राहगीर मृणाल बर्नवाल कहते हैं कि इस स्लोगन का समाज पर प्रभाव पड़ेगा. उनका कहना है कि प्रशासन की बार-बार अपील के बाद भी जो लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें जागरूक करने के लिए ये काफी हद तक काम करेगा. सरकार और प्रशासन भी लगातार कह रहा है कि साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग ही कोरोना की दवाई है. क्योंकि इस वायरस की अभी कोई दवा नहीं बनी है. ऐसे में इसका पालन करना चाहिए.
जिलाधिकारी आवास पर ड्यूटी करने वाले पुलिस के जवान उदयभान सिंह कहते हैं कि लोगों को बार-बार सोलश डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए बोलना पड़ता है. बेवजह लोग यहां से आते-जाते हैं. वे समझाने पर नहीं मानते हैं. ऐसे में सड़क पर लिखे ये स्लोगन ये संदेश देते हैं कि वे साफ-सफाई के साथ सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करके चलें. इससे उन लोगों को भी सुविधा होगी. क्योंकि लोगों को बार-बार इसके लिए बताना पड़ता है.