कोटा के कलम का कुआं में छापेमारी में इतने आरोपी हुए गिरफ्तार

कोटा,  राजस्थान में कोटा के नगरीय थाना क्षेत्र के एक गांव में पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के भारी-भरकम सुरक्षा बल ने अवैध रूप से बनाई जाने वाली शराब की धरपकड़ के लिए छापा मारकर हजारों लीटर अवैध शराब और वॉश बरामद किये, लेकिन संयुक्त दल एक भी आरोपी को पकड़ने में नाकाम रहा।


सूत्रों ने आज बताया कि दल ने पूरे गांव की घेराबंदी की। यहां तक कि अवैध शराब के निर्माण स्थलों का पता लगाने के लिए ड्रोन जैसे आधुनिक उपकरणों का भी प्रयोग किया। गांव में अवैध शराब के निर्माण की सुनिश्चित पुष्टि होने के बाद पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों- कर्मचारियों ने चारों ओर से घेराबंदी करके गांव में प्रवेश किया और वहां से हजारों लीटर अवैध शराब और वॉश बरामद की, अवैध शराब के मामले में तीन मामलो दर्ज कर लिये, लेकिन इस दौरान इस गांव में अवैध शराब निर्माण में लिप्त एक भी अपराधी नहीं मिला।


सूत्रों ने बताया कि यह सर्वविदित तथ्य है कि पुलिस – आबकारी विभाग ही नहीं बल्कि आसपास के गांव का बच्चा-बच्चा इस बार अच्छी तरह जानकारी रखता है कि जिस गांव में छापेमारी की यह कार्रवाई की गई है, वहां यह कारोबार कुटीर उद्योग की तरह किया जाता है और एक जाति विशेष के बाहुल्य वाले इस गांव की लगभग सारी आबादी पिछले कई दशकों से अवैध शराब के धंधे में लिप्त है।

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जानकारी के अनुसार वहां सुबह से लेकर देर रात्रि तक अवैध रूप से बनने वाली इस सस्ती शराब को खरीद कर पीने वालों का जमघट लगा रहता है जिसमें आसपास के गांवों के अलावा आलनिया, जगपुरा कसार, मंडाना आदि बड़े कस्बों के लोग भी शामिल हैं।

उनके स्वागत में वहां घरों के बाहर स्थाई रूप से खटिया बिछाई जाती है जहां प्लास्टिक की केन से निकालकर कांच और प्लास्टिक की बोतलों में ग्राहकों को कच्ची शराब परोसी जाती है। ‘झूम बराबर झूम शराबी’ वाला लोकप्रिय फिल्मी गीत का नजारा यहां दिन भर नजर आता है। इस गांव के बच्चे, बूढ़े, जवान और औरतें इस कारोबार में लिप्त हैं और ग्राहकों का स्वागत करते और अपने अपने कच्चे घरों के बाहर बिछी खटिया पर ग्राहकों को बैठाकर परोसगारी करते नजर आते हैं।


जब शराब का धंधा कारोबार धड़ल्ले से चल रहा होता है तो इस गांव में ‘चखना’ के लिए नमकीन, मूंगफली, चने और पांच-पांच रुपए के चिप्स- नमकीन के पाउच का धंधा भी जमकर होता है। यहां भी यह कहावत चरितार्थ होती है कि ‘सोने पर सुहागा’ यानी जो शराब नहीं बेचते, वह ‘चखने’ का कारोबार करते हैं।

ऐसे गांव में जहां यह अवैध कारोबार कुटीर उद्योग बना हुआ है, वहां कई बड़े पुलिस और आबकारी अधिकारियों की मौजूदगी में बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मियों का छापा मारने की कार्रवाई के बावजूद भी एक भी अपराधी की गिरफ्तारी नहीं होना बेहद आश्चर्यजनक है, जबकि कोटा शहर पुलिस ने अपनी विज्ञप्ति जारी करके इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश की है जो नाकाम रही है। इसे कोटा से पुलिस प्रशासन की दुर्घटनाओं के रूप में विफलताओं के रूप में देखा जा रहा है।


यह कहानी है राजस्थान में कोटा से झालावाड़ की ओर से जाने वाले मार्ग पर ओपीसी फैक्ट्री के सामने सड़क के दाई और आबाद कलम का कुआं गांव की है जो मुख्य सड़क मार्ग से कुछ ही दूरी पर बसा हुआ है और सस्ती शराब पीने का शौकीन हर व्यक्ति इस गांव के नाम से बखूबी वाकिफ हैं। इस बारे में तो पुलिस और आबकारी विभाग भी जानकार है।

यह दीगर बात है कि कलम का कुआं के दमदार अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ और उनके आक्रामक रवैए के कारण आमतौर पर यहां छापे मारने का साहस यह दोनों विभाग जुटा नहीं पाते। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कल कलम का कुआं गांव में जितने पुलिस आबकारी अधिकारी और कर्मचारी छापा मारने के लिए पहुंचे उतने तो इस गांव के युवाओं की आबादी भी नहीं है।


उल्लेखनीय है कि भरतपुर जिले की शराब हादसे के बाद राज्य सरकार के निर्देश पर कल कई अधिकारियों सहित करीब 350 सुरक्षाकर्मियों ने कलम का कुआं गांव में छापा मारा था। वहां उन्होंने 56 लीटर हथकढ़ शराब बरामद की और 4500 लीटर वॉश नष्ट की।


इस बारे में अतिरिक्त आबकारी कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुए और वर्षों तक कोटा में आबकारी विभाग में प्राधिकारी रहे जोरावर सिंह राजावत ने आज ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि आबकारी विभाग तो क्या, कोई भी सरकारी एजेंसी कलम का कुआं गांव में छापा मारने से हमेशा कतराती रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ एक अवसरों पर इस गांव में छापेमारी की हालांकि उन्हें खूब विरोध का सामना करना पड़ा, उसके बावजूद राजस्थान सशस्त्र पुलिस बल की मदद से की गई इस छापेमारी के दौरान कई कार्रवाईयां की गई


राजावत ने बताया कि इस गांव में गुड़ की राब और महुआ से यह शराब बनाई जाती है और यह शराब जल्दी बनकर तैयार हो जाए, इसके लिए इसमें नौसादर और यूरिया का उपयोग किया जाता है जो बहुत ही घातक है।

राजावत ने बताया कि कलम का कुआं ही नहीं कोटा जिले के रामगंज मंडी क्षेत्र में जुल्मी, हापा खेड़ी, हत्याखेड़ी और कोटा जिले में कोटा जिले में खेडली, आमली और 12 जिले में छपरा के पास कई गांव में एक जाति विशेष के लोग बड़ी संख्या में बड़े पैमाने पर इस तरह की अवैध शराब का निर्माण करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है।

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