SM -“मेरा यशु यशु” कहने वाला बच्चा कहा, ‘मैं 2 बोरी चावल के लिए ऐसा दोबारा नहीं करूंगा’
SM ,सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह "मेरा यशु यशु" कहता हुआ दिखाई दे रहा था। अब वही बच्चा "मेरी बेन बोलने लगी" के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है।
SM ,सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह “मेरा यशु यशु” कहता हुआ दिखाई दे रहा था। अब वही बच्चा “मेरी बेन बोलने लगी” के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। इस बच्चे ने हाल ही में कहा कि वह “2 बोरी चावल के लिए ऐसा दोबारा नहीं करेगा।” यह बयान किसी के लिए भी चौंकाने वाला था और इसने बच्चों के शोषण पर एक गंभीर सवाल उठाया।
SM , यह स्थिति बच्चों के शोषण और उन्हें एक एजेंडे के लिए इस्तेमाल करने की समस्या को उजागर करती है। बच्चे, जो कि अपनी मासूमियत और सरलता के लिए जाने जाते हैं, उनका इस तरह का उपयोग किसी भी एजेंडे के लिए करना पूरी तरह से गलत है। यह न केवल उनकी मानसिकता को प्रभावित करता है, बल्कि उनके भविष्य को भी खतरे में डालता है।
धर्म परिवर्तन और बच्चों का इस्तेमाल
बच्चों का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दों में किया जाता है, यह एक और गंभीर चिंता का विषय है। बच्चों को बिना उनके समझे-समझाए किसी एजेंडे का हिस्सा बना दिया जाता है। इस प्रकार की गतिविधियां बच्चों को मानसिक रूप से परेशान करती हैं और उन्हें उनकी मासूमियत से बाहर निकलने पर मजबूर करती हैं।
समाज में धर्म परिवर्तन या किसी अन्य उद्देश्य के लिए बच्चों का शोषण करने वाले लोग समाज की नैतिकता और संवेदनशीलता को ताक पर रखते हैं। यह न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनता है, बल्कि यह उनके विकास और शिक्षा के अवसरों को भी बाधित करता है।
बच्चों को मिलना चाहिए शिक्षा और अवसर
SM , बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए उन्हें शिक्षा और अच्छे अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है, न कि उन्हें राजनीति या किसी अन्य एजेंडे का शिकार बनाने की। बच्चों की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है कि उन्हें सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले।
समाज का कर्तव्य है कि वह बच्चों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में बढ़ने और सीखने का मौका दे, बजाय इसके कि उन्हें किसी उद्देश्य के लिए उनका शोषण किया जाए। बच्चों को शांति और सद्भाव में पलने की ज़रूरत है, ताकि वे भविष्य में बेहतर नागरिक बन सकें।
नैतिक जिम्मेदारी और समाज का दायित्व
SM , हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है कि बच्चों के साथ होने वाले इस तरह के शोषण के खिलाफ आवाज उठाएं। समाज और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों का शोषण न हो, और उन्हें किसी भी प्रकार के शोषण से बचाया जाए। केवल इस तरह से ही हम एक ऐसे समाज की नींव रख सकते हैं जहां बच्चों को अपनी मासूमियत के साथ जीने का अधिकार मिल सके।
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SM , बच्चों का शोषण एक गंभीर और निंदनीय कृत्य है। यह न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की नैतिकता को भी कमजोर करता है। हमें बच्चों के अधिकारों का सम्मान करते हुए उनके साथ सटीक और संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित और उज्जवल हो।