कैसे ठीक होगी अर्थव्यवस्था?
इकोनॉमी की रिकवरी को लेकर सरकार प्रतिबद्ध, सभी राज्यों को इस वर्ष समय पर जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान: सीतारमण
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि वह रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर देखना चाहती हैं। ताकि अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईधन का त्याग हो सके और भारत में पैनल से लेकर सोलर बैट्री तक का निर्माण हो
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की रिकवरी के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था मजबूत होती दिख रही है और कोरोना काल में सरकार की तरफ से जो कदम उठाए गए, उसके नतीजे भी दिख रहे हैं। उद्योग संगठन सीआइआइ की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में उद्यमियों के साथ संवाद में वित्त मंत्री ने बताया कि इस वर्ष शुरुआती पांच महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) में 37 फीसद की बढ़ोतरी हुई। जुलाई के आखिर में देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 620 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर को पार कर गया।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सितंबर-अक्टूबर से लेकर अब तक कर्ज के रूप में पांच लाख करोड़ रुपये इकोनॉमी में डाले गए हैं। पिछले कुछ समय के दौरान निर्यात भी बढ़ रहा है। लोगों का बाजार में भरोसा बढ़ रहा है और शेयर बाजारों में निवेश के लिए हर महीने तीन लाख नए डीमैट खाते खुल रहे हैं। सीतारमण ने बताया कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई मोर्चे पर काम किया जा रहा है। टैक्स की वसूली बढ़ रही है। इस वजह से सभी राज्यों को इस वर्ष समय पर जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान हो जाएगा। इससे राज्यों को खर्च करने में आसानी होगी।
राजकोषीय घाटे को बजट में तय लक्ष्य के मुताबिक रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश में तेजी है और इस साल एयर इंडिया, बीपीसीएल, कानकोर जैसी कंपनियों के विनिवेश का काम पूरा हो जाएगा। वहीं सार्वजनिक कंपनियों की संपदा के मौद्रीकरण के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। इससे उद्यमियों को सरकारी कंपनियों की बेकार पड़ी जमीन मिलेगी। वित्त मंत्री ने उद्योग जगत से निवेश बढ़ाने के लिए भी कहा।
रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर देखना चाहती हैं वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा कि वह रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर देखना चाहती है। ताकि अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईंधन का त्याग हो सके और भारत में पैनल से लेकर सोलर बैट्री तक का निर्माण हो।