दिल्ली में बिजली संकट की आहट:टाटा पावर ने कहा- बिजली संभलकर इस्तेमाल करें,

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री बोले- 1 दिन का कोयला बचा; केजरीवाल की मोदी को चिट्‌ठी

दिल्ली में बिजली संकट की आहट शुरू हो गई है। दिल्ली के उत्तरी हिस्से में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी टाटा पावर ने लोगों को मैसेज भेजकर सतर्क रहने और बिजली का संभलकर इस्तेमाल करने के लिए कहा है। मैसेज में कहा गया है कि राजधानी में दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक सप्लाई पर असर पड़ सकता है। अगर जल्द ही कोयला सप्लाई नहीं की गई तो 2 दिन बाद बड़े स्तर पर कटौती शुरू हो सकती है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बिजली संकट को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्‌ठी लेकर इस मसले पर ध्यान देने की अपील की।

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री ने कहा- कोयला नहीं है
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पूरे देश में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट में कोयले की बहुत कमी है। दिल्ली को जिन प्लांट से बिजली आती है, उनमें 1 दिन का स्टॉक बचा है। कोयला बिल्कुल नहीं है। केंद्र सरकार से अपील है रेलवे वैगन का इस्तेमाल कर कोयला जल्द पहुंचाया जाए।

कोयला संकट की वजह से परेशानी
देश में लगभग 70% बिजली कोयले से बनती है। बिजली उत्पादन के लिए पावर प्लांट्स के पास कोयले का स्टॉक काफी कम रह गया है। देश में कोयले से 135 पावर प्लांट हैं। इनमें अभी 2 से 4 दिन का स्टॉक है।

केजरीवाल ने पत्र में क्या लिखा
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों को पर्याप्त मात्रा में कोयले की व्यवस्था करवाने की अपील की है। उन्होंने इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने को कहा है।

एक परेशानी यह भी
देश की लगभग तीन चौथाई कोयले की जरूरत घरेलू खानों से पूरी होती है, लेकिन भारी बारिश के चलते उनमें और ट्रांसपोर्ट रूट पर पानी भर गया है। ऐसे में कोयले से पावर प्लांट्स चलाने वाली कंपनियों के सामने दुविधा यह है कि नीलामी में जो भी कोयला मिले, उसके लिए ज्यादा प्रीमियम दें या विदेशी बाजार से मंगाएं, जहां पहले से कीमत रिकॉर्ड हाई लेवल पर है।
प्लांट्स को मिल रहा 60-80 हजार टन कम कोयला
एल्यूमीनियम प्रॉडक्शन कंपनियों की शिकायत है कि कोल इंडिया ने पावर प्लांट्स को कोयला देने के लिए उनकी सप्लाई घटा दी है। कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि बारिश के चलते खानों में पानी भर जाने से पावर प्लांट्स को रोज 60 से 80 हजार टन कम कोयला मिल रहा है।

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