घर बैठे आर्थराइटिस को ठीक कर सकते हैं, जानिए अचूक उपाय!

आर्थराइटिस जो कभी सिर्फ बुज़ुर्गो में पायी जाती थी आजकल युवाओं में भी आम हो गई है। इसे अक्सर बीमारी समझ कर दवाइयों से इलाज करने की कोशिश की जाती है। असल में आर्थराइटिस जोड़ो में सूजन को कहा जाता है। इसके मुख्य कारण क्या हैं और आर्थराइटिस की पहचान कैसे की जा सकती है, आइये जानते हैं :

इसके प्रमुख लक्षण हैं :

सूजन (inflammation)
सन्धि (joint) के गति का सीमित होना
एक या अनेक संधियों में दर्द
संधियों में अकडापन(stiffness)
संधियों से आवाज आना
संधियों का विकृत (deformity)होना
संधियों की हड्डीयो में कोने का निकलना

परेशानी का कारण

आयुर्वेद में इसके मुख्य करण वात (गैस) को माना गया है। आयुर्वेद में स्पष्ट कहा गया है की वात की वृद्धि से रुक्ष, लघु खर चल विशद आदि गुणों की वृद्धि होती है जो समान्यः वृद्धावस्था में वृद्धि को प्राप्त कर जॉइंट में रहने वाली श्लेष्मा (fluid) को सुखा कर दुःख और वेदना की विकट स्थिति उत्पन्न कर देता है ।

इसका मुख्य कारण हमारी जीवनशैली में नज़रअंदाज़ की जाने वाली छोटी छोटी त्रुटियां हैं। चलने से बचना, दुपहिया या चार पहिया का अत्यधिक प्रयोग, योग या व्यायाम में कमी अक्सर जोड़ो में अकड़न ला देती है।

आर्थराइटिस से बचाव

आर्थराइटिस से बचने की लिए वात (गैस) पर नियत्रण करना सबसे पहला और मुख्य कदम होता है। अतः वात को बढ़ाने वाला आहार विहार का त्याग करे। फिर बढ़े वात का शमन कर दिया जाये तो रोग में आराम आने शुरू हो जाती है।
नियमित पंचकर्म क्रिया – आयुर्वेद में चिकित्सा की दो विधा है जिसमे से शोधन चिकित्सा जिसे पंचकर्म के नाम से जाना जाता है जो रोग को शीघ्र ही शमन कर देती है। पंचकर्म की 5 प्रमुख क्रियाएं हैं :
अभ्यांगम्
शिरोधारा
निरुह वस्ती
अनुवासन वस्ती
जानु वस्ति इत्यादि

शमन चिकित्सा एवं पंचकर्म के द्वारा जोड़ो की समस्या का स्थायी इलाज सम्भव है। इसके अलावा जीवनशैली में ज़रा या अनुशासन और खाने पर नियंत्रण आर्थराइटिस की समस्या से आपको बचा सकता है।

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