ShivSena का महाराष्ट्र तक सीमित रहना: संजय राउत का अटल बिहारी वाजपेयी कनेक्शन
ShivSena के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में कभी भी महाराष्ट्र के बाहर चुनाव नहीं लड़ा।
ShivSena ;राउत का बयान: अटल जी के सम्मान में शिवसेना ने महाराष्ट्र से बाहर नहीं लड़ा चुनाव
ShivSena के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में कभी भी महाराष्ट्र के बाहर चुनाव नहीं लड़ा। राउत का दावा है कि बाला साहेब ठाकरे, जिनकी छवि उस समय अयोध्या आंदोलन के बाद एक सुपरस्टार जैसी बन गई थी, ने जानबूझकर महाराष्ट्र से बाहर चुनावी मैदान में उतरने से परहेज किया, क्योंकि उन्हें यह उचित नहीं लगता था कि वे अटल जी के सम्मान को ठेस पहुँचाएं।
ShivSena ; बाला साहेब ठाकरे की सुपरस्टार छवि
राउत ने बाला साहेब ठाकरे की राजनीतिक छवि को भी रेखांकित किया, जब उन्होंने कहा कि अयोध्या आंदोलन के बाद बाला साहेब ठाकरे का प्रभाव और प्रतिष्ठा पूरे देश में बढ़ गई थी। उस समय उनकी छवि एक सुपरस्टार जैसी हो गई थी, और उनके पास महाराष्ट्र के बाहर भी बड़ी जनसमर्थन की संभावना थी। हालांकि, ठाकरे ने कभी इस संभावना को गंभीरता से नहीं लिया और पार्टी को महाराष्ट्र तक ही सीमित रखा।
महाराष्ट्र से बाहर चुनाव लडऩे का फायदा
राउत ने स्वीकार किया कि अगर बाला साहेब ठाकरे उस समय महाराष्ट्र से बाहर चुनाव लड़ते तो पार्टी को निश्चित रूप से फायदा होता। उन्होंने बताया कि ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना उस समय एक ऐसी ताकत बन चुकी थी, जिसका राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक असर था। लेकिन, ठाकरे ने हमेशा राज्य की राजनीति को प्राथमिकता दी और पार्टी को सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित रखा, ताकि अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में कोई विवाद न उठे।
ShivSena और अटल बिहारी वाजपेयी का संबंध
राउत का यह बयान ShivSena और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच पारंपरिक रिश्तों की ओर भी इशारा करता है। अटल बिहारी वाजपेयी और बाला साहेब ठाकरे के बीच हमेशा एक सम्मानजनक संबंध था। शिवसेना ने कभी भी वाजपेयी जी की छवि और उनके नेतृत्व को चुनौती नहीं दी, और यही कारण था कि पार्टी ने महाराष्ट्र के बाहर अपनी उपस्थिति स्थापित करने का प्रयास नहीं किया।
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संजय राउत का बयान ShivSena के इतिहास और पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में संभावनाओं को लेकर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। बाला साहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने हमेशा महाराष्ट्र के लोगों के बीच अपने पक्ष को मजबूत किया, लेकिन शायद पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार का अवसर कभी पूरी तरह से नहीं आया।