शिवपाल सिंह यादव ने एक सीट मिलने पर भी अखिलेश यादव के अपने निशान और पार्टी की दी कुर्बानी, जानिए वजह
शिवपाल यादव ने एक सीट मिलने के बाद अखिलेश यादव के लिए पार्टी की दी कुर्बानी
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान समाप्त हो चुका है. ऐसे में सभी पार्टियां लगातार अपने पार्टियों का चुनाव प्रचार कर रहे हैं. यूपी विधानसभा चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(प्रसपा) के प्रमुख शिपाल सिंह यादव को पार्टी की कुर्बानी के बावजूद महज एक सीट ही मिली है, फिर भी वह अखिलेश यादव के लिए वोट मांग रहे हैं. जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव को फिर से सीएम बनाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी और चुनाव चिह्न की कुर्बानी दे दी है.
अखिलेश यादव बने फिर से सीएम- शिवपाल
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जारी सियासी घमासान के बीच चाचा शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बने. इसीलिए उन्होंने इतनी बड़ी कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि भले ही मैंने अलग पार्टी बना ली, लेकिन हमेशा नेता जी मुलायम सिंह यादव से मिलता रहा. वह हमेशा हमें और अखिलेश को एक साथ देखना चाहते हैं.
हालांकि, शिवपाल यादव का फिर वह दर्द भी छलका, जिसकी चर्चा काफी दिनों से हो रही है. शिवपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने 100 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार भी फाइनल कर लिए थे, मगर उनके हिस्से केवल एक सीट यानी जसवंतनगर विधानसभा सीट आई. अगर अधिक सीटें मिलतीं तो हम सभी सीटें जीत लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि फिर भी हमारा गठबंधन बीजेपी का सफाया कर रहा है. बता दें कि शिवपाल यादव सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर ताल ठोक रहे हैं.
मुलायम सिंह यादव का हम करते हैं बहुत सम्मान
बीते दिनों शिवपाल यादव ने कहा था कि वह अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव (नेता जी) का बहुत सम्मान करते हैं और उन्हीं के कहने पर सपा गठबंधन का हिस्सा बने थे. उन्होंने कहा ‘नेताजी कहते थे कि कम से कम 100 सीटें लेना, फिर बोले कम से कम से 200 सीटें लेना. लेकिन मैंने तो केवल 100 ही मांगी थी मगर उन्होंने (अखिलेश) ने कहा कि कुछ कम कर दो, तो पहले 65, फिर 45 और फिर 35 कर दी, फिर बोले यह भी ज्यादा है फिर मैंने कहा कि सर्वे करा लो, जितने भी हमारे जीतने वाले लोग हों, उन्हीं को टिकट दे दो. हम तो समझते थे कि कम से कम 20 या 25 लोगो को टिकट दे देंगे.’ उन्होंने कहा ‘हमारी सूची में सभी जीतने वाले लोग थे. अगर हमारी मान ली होती तो इटावा सदर सीट पर बहुत बेहतरीन चुनाव होता था.