शिवपाल सिंह यादव ने 90979 वोटों से विवेक शाक्य को दी मात, सपा के पाले में गई जसवंतनगर सीट
शिवपाल यादव ने जसवंतनगर सीट 90979 वोटों से विवेक शाक्य को दी करारी मात
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इटावा: यूपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने लगे हैं. जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट सपा के पाले में चली गई है. शिवपाल सिंह यादव ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के विवेक शाक्य को 90979 वोटों से हरा दिया है. सपा के गढ़ में बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका है. सपा उम्मीदवार शिवपाल सिहं यादव को अब तक 158531 वोट मिले हैं. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा के विवेक शाक्य रहे. इन्हें अब तक 68454 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर बसपा के ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को 17435 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा है.
बता दें कि गोरखपुर, करहल के बाद बाद हॉट सीट कही जाने वाली जसवंतनगर सीट पर इस पर बीजेपी व सपा का जोरदार मुकाबला है. सात चरण खत्म होते ही सभी की नजरें अपनी-अपनी सीटों के नतीजों पर टिकी हैं. इस सीट पर सपा से शिवपाल सिंह यादव और भाजपा से विवेक शाक्य चुनाव मैदान में हैं. इस सीट को लगातार सपा ही जीतते चली आ रही है. शिवपाल सिंह यादव इस सीट से सीटिंग विधायक हैं.
1996 से शिवपाल यादव जीतते चले आ रहे हैं जसवंतनगर सीट
इटावा की जसवंत नगर सीट पर अब तक 16 चुनाव हुए हैं. उनमें से 12 मे मुलायम सिंह यादव या उनके भाई शिवपाल यादव जीते हैं. 1996 से शिवपाल यहां से जीत रहे हैं. मुलायम का पैतृक गांव सैफई इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस बार यहां जातीय गणित और रसूख का मुद्दों से मुकाबला है. 2017 की प्रचंड भाजपा लहर में भी इटावा की जसवंतनगर सीट सपा ने 52,616 वोटों से जीती थी, इसीलिए इस सीट को सपा का गढ़ कहा जाता है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर से 7 बार चुनाव जीते हैं.
जसवंतनगर सीट से 1967 में पहला चुनाव जीते थे मुलायम
जसवंतनगर सीट पर मुलायम पहला चुनाव 1967 में जीते हैं 69 में वह कांग्रेस के विशंभर सिंह से हार गए. 1974 और 1977 की जनता लहर में मुलायम फिर जीते हैं. जनता सरकार में सहकारिता मंत्री बने. 1980 में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की है. मुलायम सिंह हार गए. कुछ दिन बाद ही उन्हें लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. राजनीतिक कद बढ़ने लगा. 1985 की इंदिरा लहर में भी वह जीते और तब से अब तक जसवंतनगर पर मुलायम परिवार ही जीत रहा है. 1989 में इसी सीट से जीत कर मुलायम मुख्यमंत्री बने. तभी से यह वीआईपी सीट बन गई.