शिवपाल यूँ ही नहीं मिल रहे आजम से बीजेपी की मिल रही शय
आजम खां की अखिलेश यादव से नाराजगी बताई जा रही
सपा के अध्यक्ष भले ही आज अखिलेश यादव बन गए हों, लेकिन एक समय शिवपाल यादव की तूती बोलती थी। मुलायम सिंह यादव के दौर में सपा में शिवपाल यादव का वर्चस्व कायम था। वहीं, आजम खान सपा के मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे और पार्टी में उनकी हैसियत नंबर दो की थी। इस तरह से शिवपाल और आजम खान दोनों ही सपा के कद्दावर नेता माने जाते थे, लेकिन अखिलेश यादव भी सपा की कमान संभालकर खुद को मुलायम सिंह के सियासी वारिस के तौर स्थापित कर चुके हैं। शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने के बाद सफल नहीं रहे, लेकिन 2022 में विधायक बनने के बाद से फिर से बागी रुख अपनाए हुए हैं। ऐसे ही आजम खान के समर्थक भी नाराज चल रहे हैं। ऐसे में शिवपाल यादव जेल में आजम खान से मिलकर भविष्य के सियासी रणनीति पर कदम बढ़ा सकते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि अखिलेश यादव अपने दोनों ही नेताओं को लेकर किसी तरह की कोई चिंता और परवाह नहीं कर रहे हैं।
आजम खान के करीबी नेता शिवपाल यादव के संपर्क में
बताया जा रहा है कि आजम खान के करीबी नेता शिवपाल यादव के संपर्क में हैं। ऐसे में आने वाले समय में दोनों नेता एक खेमे में आ सकते हैं। वहीं, लंबे समय से चुनौतियों से जूझ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यह अलग तरह का संकट है। सपा और अखिलेश यादव के लिए चिंता की बात इसलिए भी है, क्योंकि शिवपाल सिंह यादव और आजम खान दोनों ही नेताओं का अच्छा प्रभाव उस ‘मुस्लिम-यादव’ वोट बैंक पर माना जाता है। ‘एमवाई’ फैक्टर सपा की साइकिल का सबसे बड़ा सहारा है।