“28 साल पहले: शेख हसीना का ‘प्रोटेस्ट’, ‘लॉन्ग मार्च’ और ‘इस्तीफा’ का सफल अभियान जिसने गिराई खालिदा जिया की सरकार”
यह घटनाक्रम 1996 में हुआ था। उस समय बांग्लादेश में खालिदा जिया की नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में थी, और उनके शासन का विरोध तेजी से बढ़ रहा था।
28 साल पहले, बांग्लादेश में एक राजनीतिक तूफान उठा था, जिसने देश के सियासी परिदृश्य को बदलकर रख दिया। यह कहानी उस समय की है जब शेख हसीना और उनकी पार्टी, अवामी लीग, ने खालिदा जिया की सरकार को चुनौती दी थी।
यह घटनाक्रम 1996 में हुआ था। उस समय बांग्लादेश में खालिदा जिया की नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में थी, और उनके शासन का विरोध तेजी से बढ़ रहा था। शेख हसीना, जो अवामी लीग की अध्यक्ष थीं और पूर्व प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी थीं, ने देश में लोकतंत्र की बहाली और भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए एक व्यापक आंदोलन शुरू किया।
शेख हसीना ने व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, लॉन्ग मार्च और इस्तीफे की रणनीति अपनाई। अवामी लीग के समर्थकों ने राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में विशाल रैलियाँ निकालीं। ये रैलियाँ और विरोध प्रदर्शन न केवल सड़कों पर, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी गूंज उठे।
इन प्रदर्शनों की शक्ति और जनता की आवाज ने खालिदा जिया की सरकार को दबाव में डाल दिया। सरकार के खिलाफ उभरती असंतोष की लहर ने लोगों को ऐसा महसूस कराया कि देश की स्थिति सुधारने की जरूरत है। इन आंदोलनों ने सरकार के खिलाफ एक भारी जनमत एकत्रित कर दिया और एक नई सरकार की मांग की।
अवामी लीग की इस विशाल जीत ने बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। शेख हसीना ने नई सरकार का नेतृत्व किया और एक नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए।
इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और यह दिखाया कि जब जनता की आवाज और संगठित विरोध एकसाथ होते हैं, तो वे सत्ता की संरचनाओं को हिला सकते हैं। शेख हसीना की यह रणनीति और नेतृत्व आज भी बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में याद किया जाता है