एनसीपी ने मांगी थी तीन दिन की मोहलत, शरद पवार की चिट्ठी से हुआ खुलासा
महाराष्ट्र में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश नहीं कर पाने के चलते मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है ।बीजेपी के अलावा सभी विपक्षी दल इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया । इस फैसले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पत्र की एहम भूमिका रही जो उन्होंने मंगलवार सुबह राज्यपाल को भेजा था ।
दरअसल, बीजेपी और शिवसेना द्वारा सरकार न बनाए जाने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार (11 नवंबर) शाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को सरकार बनाने का ऑफर दिया था । एनसीपी को दावा पेश करने के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का वक्त दिया गया था । लेकिन एनसीपी ने सुबह 11.30 बजे ही अपना पत्र राज्यपाल को भेज दिया । राज्यपाल ने यह पत्र पढ़ने के बाद ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी ।
गौरतलब है कि राजभवन को भेजे गए इस पत्र में एनसीपी ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया था, और न ही समर्थन पत्र की बात की । बल्कि इस पत्र में एनसीपी ने राज्यपाल से तीन दिन की मोहलत मांगी थी । राज्यपाल ने एनसीपी की इस मांग को स्वीकार नहीं किया । बल्कि, एनसीपी के इस पत्र को आधार बना कर केंद्रीय गृह मंत्रालय से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी । इस मसले पर अपना मत रखते हुए एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि कांग्रेस नेता यहां मौजूद नहीं थे और सुबह के वक्त हालात एकदम अलग थे । इसीलिए हमने राज्यपाल को पत्र भेजा और तीन दिन की मोहलत देने की मांग की ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति शासन के इस फैसले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार काफी सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं । मंगलवार शाम अपने बयान में शरद पवार ने कहा कि राष्ट्रपति शासन दोनों दलों (कांग्रेस और एनसीपी) को चर्चा करने के लिए एक राहत की तरह है । यहां तक कि शरद पवार ने यह भी कहा है कि शिवसेना तीन दिन की मांग कर रही थी, अब राज्यपाल ने उन्हें 6 महीने का वक्त दे दिया है ।
अगर सभी पहलुओं पर गौर करें तो यह घटनाक्रम काफी रोचक है । क्योंकि इसी दौरान दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक चल रही थी । कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आपस में बातचीत भी की थी । इसी दौरान सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल को मुंबई जाकर शरद पवार से मुलाकात करने की जिम्मेदारी सौंपी । लेकिन तीनों नेताओं के मुंबई पहुंचने और शरद पवार संग बैठक करने से पहले ही राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी हो गई और शाम होते-होते इस बैठक से पहले ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया । वहीं दूसरी तरफ, मंगलवार दोपहर को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिक्स समिट में शामिल होने के लिए ब्राजील निकलना था । लेकिन मंगलवार दोपहर ढाई बजे के आसपास दिल्ली से रवाना होने से पहले ही उन्होंने इस मसले पर दिल्ली में कैबिनेट मीटिंग की । कैबिनेट मीटिंग करते ही उन्होंने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी । जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई ।