भारत की एक और बेटी ने रचा इतिहास, बनी पहली महिला फ्लाइट कमांडर
किरण बेदी, कंचन चौधरी भट्टाचार्य, मैरी कॉम, पी वी सिंधु और न जाने कितनी लड़कियों ने भारत में एक नया इतिहास लिखा है। इनकी सूची में अब एक और नाम शामिल हो गया है। वो है शालिजा धामी, देश की पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी जिन्होंने फ्लाइट कमांडर बन एक नया इतिहास रचा है। 15 साल से वायुसेना में रहते हुए देश की सेवा करने वाली शालिजा ने हिंडन एयर बेस में चेतक हेलिकॉप्टर यूनिट में फ्लाइट कमांडर का पदभार संभाला है।
फ्लाइट कमांडर का पद वायुसेना में दूसरी प्रमुख लीडरशिप पोजिशन होती है। इससे पहले अपने 15 साल के करियर में वे चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती रही हैं। शालिजा धामी के पास 2300 घंटे तक उड़ान का अनुभव है। विंग कमांडर धामी चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए भारतीय वायुसेना की पहली महिला योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं। इसके साथ ही शालिजा धामी वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्हें लंबे कार्यकाल के लिए स्थाई कमीशन प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई जीतने के बाद महिला अधिकारियों को अपने पुरुष समकक्षों के साथ स्थाई कमीशन पर विचार करने का अधिकार मिला है।
आगे बढ़ने का खुला रास्ता
वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि वायुसेना में महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन दो बातों पर निर्भर करता है पहला- वैकेंसी की संख्या और दूसरा- मेरिट। उन्होंने कहा कि वायुसेना के साथ सभी सेना में महिलाओं की भर्ती के लिए कोई पाबंदी नहीं है। बस स्थाई कमीशन के लिए चयन होने से पहले महिला ऑफिसर ने 13 साल तक वायुसेना में अपनी सेवा दी हो। जिसके बाद उनका चयन स्थाई कमीशन लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना में 1994 में पहली बार महिलाओं को शामिल किया गया था। लेकिन शुरुआत में उन्हें नॉन-कॉम्बैट रोल दिया गया था। समय के साथ महिलाओं ने संघर्ष करके अब कॉम्बैट रोल्स हासिल किए हैं। महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत एयरफोर्स में नियुक्त की जाती है।
नौ साल के बच्चे की मां शालिजा पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ी हैं। वे बचपन से ही पायलट बनना चाहती थी। अब शालिजा धामी के यहां पहुंचने से महिलाओं के लिए वायुसेना में आगे बढ़ने का रास्ता खुला है। महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से महिला उम्मीदवार ज्यादा वक्त तक सेना में काम कर सकेंगी और उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। स्थाई कमीशन के ज़रिए महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी और इस सेवा को बढ़ाया भी जा सकेगा।