पुलिस चेकिंग के नाम पर आतंक ! चलती बाइक पर सिपाही ने मारा डंडा.. डंपर के नीचे आई महिला, मौत

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में रविवार शाम को निगोही थाना क्षेत्र में एक हृदयविदारक घटना ने सभी को झकझोर दिया। किसान प्रदीप कुमार अपनी पत्नी अमरीशा देवी और बेटे किशन के साथ बाइक से शादी समारोह में जा रहे थे। जठिया गांव के पास पुलिस चेकिंग चल रही थी। इसी दौरान एक सिपाही ने उनकी बाइक पर लाठी मार दी।

लाठी से बाइक असंतुलित, सड़क पर गिरी महिला को डंपर ने कुचला

सिपाही की लाठी के चलते प्रदीप की बाइक असंतुलित हो गई। महिला अमरीशा देवी बाइक से गिर गई और पीछे से आ रहे डंपर का पहिया उनके सिर के ऊपर से निकल गया। जिसके बाद मौके पर ही उनकी दर्दनाक मौत हो गई। यह पूरी तरह से पुलिस की बर्बरता और गैरजिम्मेदारी का नतीजा था।

पुलिस की ‘लूट’ और गुंडागर्दी पर भड़की विधायक

घटना की जानकारी मिलते ही तिलहर विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक सलोना कुशवाहा मौके पर पहुंचीं। उन्होंने साफ शब्दों में पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा –
“सहालग का सीजन है, फिर भी चेकिंग के नाम पर लूट मचाई गई है। अब इस महिला को जिंदा करके दिखाओ! जनता के साथ खिलवाड़ बंद होना चाहिए। दोषी सिपाही को निलंबित कर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने किया हाईवे जाम

महिला की मौत के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रदीप कुमार ने सिपाही द्वारा लाठी मारने की बात बताई तो लोग भड़क उठे। लिपुलेख-भिंड हाईवे पर जाम लगा दिया गया। देखते ही देखते वाहनों की कतारें लग गईं, रोडवेज बसें, बाइक और निजी वाहन सब फंस गए।

प्रशासनिक अफसर भी बेबस, डीएम को बुलाने की मांग

हाईवे पर जुटी भीड़ को समझाने सीओ सदर प्रयांक जैन और एसडीएम जीत सिंह पहुंचे, लेकिन लोग डीएम को बुलाने की मांग पर अड़े रहे। लोग 50 लाख रुपये का मुआवजा और दोषी पुलिसकर्मी पर कड़ी कार्रवाई की मांग करने लगे।

जबरन हटाया गया शव, जाम करने वालों पर दर्ज की गई FIR

बताया जा रहा है कि रात में एडीएम और एसपी देहात के पहुंचने के बाद पुलिस ने जबरन महिला का शव हटाया। इस दौरान भी झड़प हुई। पुलिस ने 50 से 60 लोगों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट और अपमानजनक व्यवहार की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

वैकल्पिक मार्ग से निकाले गए वाहन, रात 10:30 बजे खुल सका जाम

जानकारी के अनुसार, इस पूरे बवाल के कारण करीब पांच किलोमीटर लंबा जाम लग चुका था। मृतका के परिजनों के राज़ी नहीं होने के बावजूद पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग से वाहनों को निकाला और रात करीब साढ़े दस बजे जाकर जाम खुलवाया जा सका।

अब सवाल उठता है – क्या वर्दी में लाठी चलाना इंसानियत को कुचलने का लाइसेंस है?

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या वर्दी वालों को आम जनता की जान की कोई परवाह नहीं? क्या चेकिंग के नाम पर आतंक फैलाना ही कानून व्यवस्था है?

Related Articles

Back to top button