Uttarakhand में शिक्षा विभाग की वरिष्ठता सूची रद
Uttarakhand लोक सेवा अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2012 में जारी 1096 प्रवक्ता पदों की वरिष्ठता सूची को नियम विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया है।
Uttarakhand महत्वपूर्ण निर्णय
Uttarakhand लोक सेवा अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2012 में जारी 1096 प्रवक्ता पदों की वरिष्ठता सूची को नियम विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। इस निर्णय ने शिक्षा विभाग में नियुक्त शिक्षकों के लिए नई राहें खोली हैं और वरिष्ठता निर्धारण में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है।
Uttarakhand नया आदेश
अभिकरण ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से जारी कम्बाइंड मैरिट सूची के आधार पर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करे। यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नियुक्तियों में नियमों और प्रक्रियाओं का पालन कितना महत्वपूर्ण है। इससे पहले, 2018 में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वरिष्ठता निर्धारण को लेकर दिए गए प्रत्यावेदन को खारिज करने का निर्णय भी अब रद्द कर दिया गया है।
प्रभाव
इस आदेश के बाद, 500 से अधिक प्रवक्ताओं के वरिष्ठता क्रमांक में बदलाव होगा। इसका मतलब यह है कि कम्बाइंड मैरिट सूची में जो शिक्षक उच्च स्थान पर हैं, उनके लिए पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। यह परिवर्तन शिक्षा विभाग में एक नई प्रतिस्पर्धा और सक्रियता को जन्म देगा।
पृष्ठभूमि
Uttarakhand राज्य लोक सेवा आयोग ने पांच अक्टूबर 2003 को 18 विषयों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके बाद स्क्रीनिंग के जरिए आयोग ने विभिन्न विषयों की चयन सूची प्रकाशित की थी। इस प्रक्रिया में कई शिक्षक शामिल हुए और उन पर वरिष्ठता का निर्धारण किया गया था। लेकिन अब, नियमों के अनुपालन की कमी के चलते उन नियुक्तियों की समीक्षा की जा रही है।
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Uttarakhand लोक सेवा अभिकरण का यह फैसला शिक्षा विभाग में नियुक्त शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह निर्णय न केवल उनके भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि सरकारी नियुक्तियों में नियमों और प्रक्रियाओं के पालन की महत्ता को भी रेखांकित करेगा। शिक्षकों की वरिष्ठता सूची के पुनर्निर्धारण से यह सुनिश्चित होगा कि योग्य शिक्षक को उसकी योग्यता के अनुसार स्थान मिले, जो समग्र रूप से शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को भी बढ़ाएगा। इस मामले की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए, सभी संबंधित पक्षों को इस प्रक्रिया में सहयोग देना होगा ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।