वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह को मिली राहत, पुलिस की जांच में निकले निर्दोष

यह पूरा घटनाक्रम न केवल यशवंत सिंह की बेगुनाही की पुष्टि करता है, बल्कि पुलिस के कामकाज की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में वरिष्ठ पत्रकार और भड़ास के संपादक यशवंत सिंह को एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की जांच रिपोर्ट में निर्दोष पाया गया है। रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि यशवंत सिंह पर लगाए गए सभी आरोप गलत थे, और उन्हें बेवजह इस मामले में फंसाया गया था।

 

मामले की पृष्ठभूमि:
दिल्ली पुलिस ने यशवंत सिंह के खिलाफ  ब्लैकमेल करने रंगदारी माँगने का आरोप लगा था जिसके लिए सिग्नल मैसेंजर एप से चैट का इस्तेमाल किया गया।  इस आरोप के तहत पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। लेकिन एफएसएल जांच में यह साफ हो गया कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और यशवंत सिंह ने कोई गैर-कानूनी काम नहीं किया था।

यशवंत सिंह की प्रतिक्रिया:
रिपोर्ट आने के बाद, यशवंत सिंह ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला उनके खिलाफ एक सोची-समझी साजिश के तहत दर्ज किया गया था। उन्होंने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस का स्तर बहुत गिरा हुआ नजर आया।

पुलिस की भूमिका पर सवाल:
इस पूरे मामले से दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यशवंत सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई, जो कि पुलिस की कार्यप्रणाली में एक गंभीर चूक है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजनीतिक दबाव के चलते उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था।

निष्कर्ष:
एफएसएल रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि यशवंत सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद थे। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग गया है, और अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

यह पूरा घटनाक्रम न केवल यशवंत सिंह की बेगुनाही की पुष्टि करता है, बल्कि पुलिस के कामकाज की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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