Section 69, भारतीय न्याय संहिता: एक अंतर्निहित विडंबना
Section 69 के तहत मामला दर्ज किया। यह धारा विशेष रूप से उन मामलों में लागू होती है, जहां किसी व्यक्ति को धोखे से शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दोषी ठहराया जाता है।
Section 69 – 31 जुलाई 2024 को झारखंड के रामगढ़ जिले की एक 25 वर्षीय महिला ने एक युवक के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि युवक ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला का कहना है कि आरोपी, जिसे वह कॉलेज के समय से जानती थी, ने कई बार उसके घर आकर शादी की इच्छा व्यक्त की।
एक मौके पर युवक ने महिला की मां से यह भी कहा कि वे अन्य शादी के प्रस्तावों पर विचार न करें, क्योंकि वह स्वयं उससे विवाह करेगा। महिला ने यह भी बताया कि उसे आरोपी की मां से मिलवाया गया, जिन्होंने उनके रिश्ते का समर्थन किया। लेकिन बाद में, आरोपी और उसकी मां ने अपने वादों से मुकरने का निर्णय लिया।
भारतीय न्याय संहिता की Section 69 के तहत मामला दर्ज
महिला ने अपने आरोप के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की Section 69 के तहत मामला दर्ज किया। यह धारा विशेष रूप से उन मामलों में लागू होती है, जहां किसी व्यक्ति को धोखे से शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दोषी ठहराया जाता है। BNS भारतीय दंड संहिता (IPC) का स्थान ले चुकी है, जो भारत में आपराधिक मामलों के लिए नया कानूनी ढांचा है।
मुकदमे की स्थिति और आरोपी को जमानत
इस मामले में आरोपी युवक को अक्टूबर में स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई। हालांकि मुकदमे की प्रक्रिया अभी भी जारी है, लेकिन जमानत के आदेश ने मामले को कानूनी और सामाजिक चर्चा का विषय बना दिया है।
Section 69 की विडंबना
Section 69 का उद्देश्य उन मामलों में न्याय सुनिश्चित करना है, जहां महिलाओं को धोखा दिया गया हो। लेकिन यह धारा कई बार विवादास्पद बन जाती है, क्योंकि यह व्यक्तिगत और सामाजिक मानदंडों की जटिलताओं से घिरी होती है।
- सहमति और धोखे की परिभाषा: यह साबित करना मुश्किल होता है कि सहमति किस हद तक धोखे से प्राप्त हुई थी।
- समाज की सोच: शादी से पहले यौन संबंध और इसे लेकर समाज का दृष्टिकोण अक्सर महिलाओं को शर्मिंदा करने की ओर ले जाता है।
- कानूनी प्रक्रिया की चुनौती: मुकदमे की लंबी प्रक्रिया और साक्ष्यों की कमी पीड़ितों के लिए न्याय प्राप्त करना कठिन बना देती है।
कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण
यह मामला उन बड़े मुद्दों को सामने लाता है, जिनसे भारतीय न्याय प्रणाली को निपटना पड़ता है। एक ओर, यह धारा महिलाओं के अधिकारों और उनके साथ होने वाले अन्याय को पहचानने में सहायक है। वहीं, दूसरी ओर, इसका दुरुपयोग भी एक चिंता का विषय है।
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भारतीय न्याय संहिता की Section 69, महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी उपाय है। हालांकि, इस धारा के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियां और समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह इसे एक जटिल मुद्दा बनाते हैं। इस मामले का अंतिम फैसला यह तय करेगा कि कानून के तहत न्याय कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है।