45 साल से कम उम्र के मरीजों पर भारी पड़ी कोरोना की दूसरी लहर, 40% ज्यादा मौत
नई दिल्ली. कोरोना महामारी से संक्रमित मरीजों की मौत के आंकड़े को देखें तो पहली लहर के मुकाबले दूसरी वेव कहीं ज्यादा खतरनाक साबित हुई है. खासकर अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा डराने वाला है. देश की राजधानी सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में अस्पतालों की शृंखला चलाने वाले मैक्स हॉस्पिटल ग्रुप की कोविड-डेटा रिपोर्ट को देखें तो यह चौंकाने वाला है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी वेव में मृत्युदर 40 फीसदी ज्यादा रही. यह रिपोर्ट साल 2020 के अप्रैल से दिसंबर और 2021 के जनवरी से मध्य जून तक अस्पताल में भर्ती मरीजों की मौत पर आधारित है.
मेडिकल जर्नल MedRxiv में छपी इस रिपोर्ट में कुल 10 अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों का डेटा संकलित किया गया है. ये सभी अस्पताल मैक्स हेल्थकेयर समूह के हैं. इनमें दिल्ली-एनसीआर के 6 और बाकी उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों के हॉस्पिटल शामिल हैं. अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, मेडिकल जर्नल में छपी इस रिपोर्ट की अभी और समीक्षा की जा रही है. अखबार के साथ बातचीत में समूह के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 45 साल से कम उम्र के मरीजों की मौत में बढ़ोतरी देखी गई है.
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी की दूसरी लहर के दौरान मृत्यु दर में बढ़ोतरी की कई वजहें सामने आई हैं. मैक्स समूह के मेडिकल डायरेक्टर के अनुसार, मरीजों को समय पर बेड न मिलना, ऑक्सीजन की कमी और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव जैसी कई समस्याएं भी हैं, जिनकी वजह से कोरोना सेकेंड वेव में मरीजों की मौत ज्यादा हुई. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में जबकि कोविड-19 का डेल्टा स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है, मृत्युदर में और बढ़ोतरी हो सकती है. चूंकि कोरोना का डेल्टा स्ट्रेन तेजी के साथ संक्रमण फैलाता है और यह अधिक जानलेवा है, हमें दूसरी लहर के मुकाबले और ज्यादा सतर्कता बरतने व सावधान रहने की जरूरत है.