जानना जरूरी है:इतिहास में दूसरी बार इतनी देर से मानसून की विदाई,

तालाबों में 10 साल बाद 12% कम पानी, डराने वाले हैं मौसम के ये 3 नए ट्रेंड

इस साल 6 अक्टूबर को मानसून की विदाई हो रही है। तीन जून से शुरू हुई मानसूनी बारिश के सीजन में अब तक 4 ट्रेंड दिखे हैं। इनमें 3 ट्रेंड डराने वाले हैं, जो अगले दो सालों में मौसम की हालत और खराब होने का इशारा कर रहे हैं। आइए पहले उन 3 ट्रेंड की बात करें-

नया ट्रेंड 1ः मानसून की विदाई में देरी घातक है
मौसम विभाग के अनुसार इस बार 6 अक्टूबर को मानसून की विदाई होगी। इससे पहले 2019 में 9 अक्टूबर को मानसून की विदाई शुरू हुई थी जो इतिहास में सबसे ज्यादा देरी से थी। इस साल दूसरी बार सबसे ज्यादा देरी से हो रही है।

ये ट्रेंड किसानों के लिए सबसे ज्यादा डराने वाला है
स्काईमेट के जीपी शर्मा कहते हैं कि मानसून की तारीख बार-बार बदलने का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ता है। वो बुआई-रोपाई की तारीख तय नहीं कर पाते हैं। कब और कितनी बारिश होगी, अब ये बता पाना भी कठिन हो रहा है।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में करीब 100 बीघे में खेती करने वाले अवनीश पाठक बताते हैं कि जुलाई की पहली बारिश में ही उनके यहां धान की रोपाई हो गई थी, लेकिन अगस्त में पानी बरसा। बाद में खुद खेत सींचकर उन्हें पुराने धान को उखाड़कर दोबारा रोपाई करानी पड़ी।

नया ट्रेंड 2: तालाबों में पिछले 10 साल के औसत से 12% कम पानी
इस बार मानसूनी सीजन में देश के कुल 128 तालाबों में से 28 ही पूरी तरह भरे। तालाब भरने का बीते 10 साल में औसत 104% है, लेकिन इस साल सिर्फ 92% तालाब ही भरे हुए हैं।

इस ट्रेंड का सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब के किसानों को
मौसम विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि तालाबों में 92% पानी का आंकड़ा बहुत डराने वाला नहीं है, लेकिन चिंता की बात ये है कि पंजाब के तालाबों में 40% तक कम पानी भरा। जबकि पंजाब में सिंचाई का मुख जरिया तालाब ही हैं।

नया ट्रेंड 3: देश के 22 प्रमुख शहरों में मानसून की करीब 95% बारिश सिर्फ 3 से 27 दिनों में
इस बार मानसून के दौरान देश में 874.6 मिमी बारिश हुई है। यह 1 जून से 30 सितंबर के 4 महीने के मानसूनी सीजन में होने वाली बारिश का 99% है, लेकिन देश के 22 प्रमुख शहरों में मानसून की करीब 95% बारिश सिर्फ 3 से 27 दिनों हो गई थी। दिल्ली में लगभग 95% सिर्फ 99 घंटों में और मुंबई में आधी बारिश सिर्फ 134 घंटों यानी साढ़े पांच दिनों में हो गई थी।

ये ट्रेंड सबसे खतरनाक है
इस ट्रेंड के बारे में मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला कहते हैं, ’30 साल पहले मानसून सीजन में मौसम के ऐसे तेवर नहीं देखे गए थे, लेकिन 1990 के बाद से तेज बारिश वाले दिन बढ़ते गए, इससे बाढ़ आती है, लेकिन सिंचाई नहीं हो पाती। बारिश के इस ट्रेंड के चलते बाढ़-ओलों ने बीते 3 साल में 10,000 जानें ले लीं, जबकि 4 लाख घर भी गिर गए।

इन 3 ट्रेंड्स का सबसे ज्यादा नुकसान मध्य प्रदेश और बंगाल को
मानसूनी बारिश के बदले ट्रेंड से सबसे ज्यादा नुकसान मध्य प्रदेश को हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के वर्ष 2018-19 से लेकर जुलाई 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में जलीय आपदाओं में 970 लोगों की जान जा चुकी है। मध्यप्रदेश के बाद सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल और हिमाचल प्रदेश को हुआ।

फसलों को नुकसान में भी मध्यप्रदेश टॉप पर है। इन साढ़े तीन सालों में 67.15 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। इसी अवधि में राज्य में बारिश-बाढ़-ओलों से 94 हजार 943 मकानों को नुकसान हुआ है।

नया ट्रेंड 4: ये एक ट्रेंड अच्छा भी, सितंबर में सबसे ज्यादा बारिश
2021 के मानसून सीजन में सितंबर में सामान्य से 35% ज्यादा बारिश हुई। ऐसा अब तक के इतिहास में छठी बार है। इससे पहले 2019 में सितंबर में 52% बारिश हुई थी

सितंबर ज्यादा बारिश का ट्रेंड बिजनेस से लेकर हवा की क्वॉलिटी के लिए भी बेहतर
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनुपम अग्रवाल बताते हैं कि सितंबर में बारिश का सीधा असर तिलहन और मसालों की कीमतों पर हुआ है। बीते एक महीने में इनके दाम 45% तक घटे हैं। अगस्त में सोयाबीन 10,680 रुपए प्रति क्विंटल के ऊंचे स्तर तक गया था। क्रूड पाम ऑयल एक महीने में 9.76% सस्ता हो चुका है। इसी तरह हल्दी 18%, जीरा 12% और धनिया 13% से ज्यादा सस्ती हुई है।

सितंबर में अधिक बारिश का ट्रेंड इतिहास के नजरिए से भी फायदेमंद रहा है। इससे दिल्ली समेत पूरे देश में हवा की शुद्धता बढ़ी है। इस साल फिलहाल सितंबर में बीते चार साल में सबसे बेहतर हवा की क्वालिटी नापी गई है।

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