SEALED :दिल्ली की CM आतिशी का आवास खाली कराया, CMO का बड़ा आरोप

CM आतिशी के सरकारी आवास को खाली कराने की घटना के पीछे की वजह अब साफ हो गई है। जानकारी के अनुसार, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने बंगला अलॉट करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की थी।

CM बंगला खाली कराने की यह है वजह

दिल्ली की CM आतिशी के सरकारी आवास को खाली कराने की घटना के पीछे की वजह अब साफ हो गई है। जानकारी के अनुसार, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने बंगला अलॉट करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की थी। नियमों के अनुसार, बिना कागजी कार्यवाही के कोई भी व्यक्ति सरकारी बंगले में निवास नहीं कर सकता है। इस स्थिति के चलते, पीडब्ल्यूडी ने आतिशी का सामान बाहर निकालने का निर्णय लिया।

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इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही को देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने तीन अधिकारियों को नोटिस भेजा है। इनमें से एक अधिकारी पूर्व CM के सचिव हैं, जबकि अन्य दो लोक निर्माण विभाग के अधिकारी हैं। यह कार्रवाई विभाग की गंभीरता को दर्शाती है और यह दिखाती है कि सरकारी नियमों का पालन न करने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है।

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अरविंद केजरीवाल का ‘शीश महल’ आखिरकार सील कर दिया गया। उस बंगले में ऐसे कौन से राज छिपे हैं कि आप संबंधित विभाग को चाबी सौंपे बिना दोबारा बंगले में घुसने की कोशिश कर रहे थे?” उन्होंने यह भी कहा कि यह नाटक था, और सभी जानते हैं कि बंगला अभी भी आतिशी के कब्जे में है।

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आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी दिल्ली में लगातार चुनावी असफलता का सामना कर रही है, और अब वह CM आवास पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “भाजपा ने हमारे नेताओं को तोड़ने और पार्टी को खत्म करने में पूरी ताकत लगाई, लेकिन जब वह सफल नहीं हुए, तो अब CM आवास पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

संजय सिंह ने यह भी बताया कि केजरीवाल द्वारा आवास खाली करने के बावजूद, मुख्यमंत्री आतिशी को अभी तक आवास नहीं जारी किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री नहीं बना पा रही, इसलिए वह सीएम आवास पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है।

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इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हुई हैं कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और क्या बीजेपी अपने दावों को सिद्ध कर पाएगी। राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर गरमा-गरमी बनी हुई है, जिससे आगामी चुनावी रणनीतियों पर भी प्रभाव पड़ेगा।

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