दुर्गा मूर्ति बनाए या नहीं संशय में मूर्तिकार, प्रशासन से अब तक नहीं मिला है निर्देश
धमतरी। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते धमतरी में 22 सितंबर से 10 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया है। इसका व्यापक असर पड़ा है। अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों की तरह ही धमतरी जिले में निवासरत पैतृक व्यवसाय से जुड़े कुम्हार समाज भी इससे खासे प्रभावित हैं। आने वाले दिनों में नवरात्रि सहित अन्य त्योहार के लिए मिट्टी की मूर्तियां दीये व अन्य सामग्री बनाए कि नहीं इसे लेकर कुम्हारपारा के कुम्हार संशय में हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि जिला प्रशासन को स्पष्ट रूप से दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।
कुम्हारपारा के मूर्तिकार रामस्वरूप कुंभकार, शंकर लाल कुंभकार, मुरली कुंभकार, शिव कुंभकार, सूरज कुंभकार, कृष्णकांत कुंभकार, देव कुमार कुंभकार, राम प्रसाद प्रजापति ने कहा कि आने वाले दिनों में हिंदू धर्म के धार्मिक पर्व नवरात्रि एवं दिपावली में पूजन के लिए मिट्टी से निर्मित कलश, दीया, मां दुर्गा एवं मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाने का कार्य पिछले दो माह से चल रहा है, लेकिन उन्हें जिला प्रशासन की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश अब तक नहीं मिला है। इसे लेकर अभी तक प्रशासन द्वारा दिशा-निर्देश जारी नहीं होने की वजह से कुम्हार परिवार दुविधा एवं असमंजस की स्थिति में है।
कुंभकार समाज धमतरी के जिला उपाध्यक्ष गगन कुंभकार का कहना है, कि जिस तरह पिछले वर्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासनिक कार्यालयों एवं भवनों में मिट्टी के दीए जलाने का आदेश दिया था वैसा ही आदेश इस बार भी जारी किया जाए। इससे कुम्हार परिवार द्वारा निर्मित मिट्टी की सामग्री के विक्रय के लिए किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पिछले साल उचित बाजार की व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को आदेशित किया गया था। उसी तरह इस वर्ष भी कुम्हार समाज द्वारा निर्मित मिट्टी के सामग्री के विक्रय के लिए उचित बाजार की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जाए। इस साल कुम्हारपारा में आगामी नवरात्रि पर्व के लिए मिट्टी से तैयार हो रही मां दुर्गा की मूर्तियों के लिए बाजार की व्यवस्था करने के साथ ही साथ परिवहन के लिए जिला प्रशासन द्वारा उचित दिशा निर्देश जारी किया जाए। स्पष्ट आदेश जारी नहीं होने के कारण मूर्तिकार परेशान हैं। इस साल कोरोना के कारण पहले से ही सभी मूर्तिकार हताश- परेशान हैं। चैत्र नवरात्र के समय मिट्टी के दीए व कलश की पर्याप्त संख्या में िबक्री नहीं हो पाई। इसी तरह गणेश चतुर्थी के अवसर पर आशानुरूप भगवान गणेश की मूर्तियां नहीं बिक पाई। पर्याप्त संख्या में मूर्तियां नहीं बिक पाने के कारण आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।