विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर SC ने केंद्र सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, छह हफ्ते में दाखिल करने के निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से शराब कारोबारी और देश छोड़कर भाग चुके विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को छह हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ब्रिटेन में कुछ कानूनी कार्यवाही अभी लंबित है, जिसकी वजह से प्रत्यर्पण में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि माल्या के सहयोग नहीं करने की वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है।
पिछली 5 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या के पेश नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि प्रत्यर्पण की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी लेकिन अब वहां हमारी जानकारी के बिना कोई गुप्त प्रक्रिया शुरू हुई है। तब सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के वकील से पूछा था कि ब्रिटेन का सुप्रीम कोर्ट प्रत्यर्पण की अनुमति दे चुका है, फिर माल्या वहां कैसे रुके हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आखिर कौन सी गोपनीय प्रक्रिया चल रही है, वह कब खत्म होगी, इस पर जवाब दाखिल करें।
पिछली 31 अगस्त को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ कोर्ट ने विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया था। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्यौरा न देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर किया था।
माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है। माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी की ओर से शुरू की गई कार्यवाही के खिलाफ याचिका दाखिल की है। पुनर्विचार याचिका लंबे समय तक जजों के सामने नहीं लगी थी, जिसकी वजह से कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से भी जवाब मांगा था।