दिल्ली से प्रदूषण दूर करने को लगाए जाएंगे टॉवर, केंद्र को ‘सुप्रीम’ निर्देश
देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को इससे छुटकारे के लिए रोडमैप तैयार करने के आदेश जारी किए हैं | सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार दिल्ली में उन स्थानों का चयन करे, जहां पर प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है और वहां पर एयर प्यूरिफायर टावर लगाए | सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि दिल्ली में ऑड-इवन प्रदूषण का स्तर कम करने का कोई हल नहीं है | प्रदूषण रोकने के लिए हमें ठोस उपाय करने होंगे |
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से शुक्रवार को भी लोग परेशान दिखे | दिल्ली के लोधी रोड और अक्षरधाम क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) शुक्रवार सुबह 500 के स्तर पर रहा, जो बेहद खतरनाक है | आईटीओ पर यह 489 के स्तर पर रहा, जबकि नोएडा और गाजियाबाद में भी प्रदूषण गंभीर श्रेणी में बना रहा |
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का डेटा दिया | इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एयर क्लीनिंग डिवाइस को लगाने में कितना समय लगेगा? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि चीन ने कैसे किया | इस पर कोर्ट में एक्सपर्ट ने बताया कि हमारे यहां एक किलोमीटर वाला डिवाइस है, जबकि चीन के पास जो डिवाइस है वह 10 किलोमीटर तक के इलाके को कवर करता है | सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप छोटे इलाक़े को क्यों कवर करना चाहते हैं |
ऑड-इवन को लेकर भी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पूछा कि क्या ऑड इवेन लगाने से दिल्ली में प्रदूषण में कोई कमी आई है | सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऑड-इवन प्रदूषण के स्तर को कम करने का कोई हल नहीं है |
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर की दम घोंटू हवा और प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हाइड्रोजन आधारित फ्यूल टेक्नोलॉजी खोजने को कहा था, ताकि जानलेवा वायु प्रदूषण का स्तर और असर कम करने के लिए कोई समाधान निकाला जा सके | कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जापान ने इसी टेक्नोलॉजी के जरिए प्रदूषण का स्तर कम किया है | सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से 3 दिसंबर तक जवाब मांगा है |