SBI ने बढ़ाए लेंडिंग रेट्स: क्या बढ़ेंगे EMI? जानिए पूरी जानकारी

SBI के MCLR में 5 आधार अंकों का इजाफा मौजूदा उधारकर्ताओं की EMI को बढ़ा सकता है। हालांकि यह बढ़ोतरी अपेक्षाकृत छोटी है

भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 5 आधार अंकों का इजाफा किया है। यह बदलाव शुक्रवार, 15 नवंबर 2024 से लागू हो गया है और यह तीन, छह और एक साल के लोन टेन्योर पर लागू है। इस बढ़ोतरी से उन ग्राहकों की EMI पर असर पड़ सकता है जिनके लोन MCLR से जुड़े हुए हैं।

आइए जानते हैं इन नए रेट्स के बारे में और यह उधारकर्ताओं के लिए क्या मायने रखता है।

MCLR क्या है?

MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देता है। यह दर बैंक द्वारा अपने कर्ज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फंडिंग लागत पर आधारित होती है और इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है। MCLR दर का असर उन सभी कर्जों पर पड़ता है जो इसके आधार पर निर्धारित होते हैं, जैसे कि होम लोन, पर्सनल लोन, और कार लोन। जब MCLR में वृद्धि होती है, तो इससे मौजूदा उधारकर्ताओं की EMI बढ़ जाती है और नए कर्ज लेने पर भी ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।

SBI के MCLR रेट्स में बढ़ोतरी

15 नवंबर 2024 से SBI ने अपनी MCLR दरों में निम्नलिखित बदलाव किए हैं:

  • 3 महीने का MCLR: 8.50% से बढ़कर 8.55%
  • 6 महीने का MCLR: 8.85% से बढ़कर 8.90%
  • 1 साल का MCLR: 8.95% से बढ़कर 9.00%

बाकी लोन टेन्योर के लिए MCLR में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इन दरों का असर उन सभी प्रकार के लोन पर पड़ेगा जो बैंक की इस आंतरिक बेंचमार्क दर से जुड़े हुए हैं।

EMI और उधारकर्ताओं पर असर

MCLR में 5 आधार अंकों की बढ़ोतरी का सीधा असर उन उधारकर्ताओं पर पड़ेगा जिनके लोन इस दर से जुड़े हैं। इसका मतलब है:

  • मौजूदा उधारकर्ता: यदि आपका लोन 3 महीने, 6 महीने, या 1 साल के MCLR से जुड़ा है, तो आपकी EMI में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि बैंक आपके लोन की दर को अपडेट करेगा।
  • नए उधारकर्ता: जो लोग अब लोन लेने जा रहे हैं, उनके लिए ब्याज दरें पहले से थोड़ी ज्यादा होंगी, जिससे उनकी EMI भी बढ़ जाएगी।

उदाहरण के लिए, अगर किसी ग्राहक का होम लोन ₹50 लाख का है और वह 20 साल के लिए लिया गया है, तो MCLR में 5 आधार अंकों की बढ़ोतरी से उनकी मासिक EMI में लगभग ₹150-200 का इजाफा हो सकता है, यह निर्भर करता है लोन की अवधि और प्रकार पर।

SBI ने MCLR बढ़ाने का कारण क्या है?

SBI ने MCLR में इजाफा करने का निर्णय विभिन्न कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया है:

  • फंडिंग लागत में वृद्धि: बैंक के लिए फंडिंग की लागत बढ़ने के कारण लोन की दरों में वृद्धि की आवश्यकता थी।
  • आर्थिक परिस्थितियां: महंगाई और लोन की मांग में बदलाव होने पर बैंक अपनी लेंडिंग रेट्स को समायोजित करते हैं ताकि वे प्रतिस्पर्धी बने रहें और नियामक दिशानिर्देशों का पालन कर सकें।
  • केंद्रीय बैंक की नीतियां: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति या रेपो दर में बदलाव भी MCLR पर असर डाल सकते हैं। हालांकि, हाल ही में RBI ने अपनी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन व्यावसायिक बैंकों ने अपनी लेंडिंग दरें बढ़ाई हैं।

SBI के MCLR रेट्स का तुलना

यहां SBI के अपडेटेड MCLR रेट्स की तुलना दी गई है:

यह बदलाव नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों के लिए लोन की किफायतीता पर असर डाल सकते हैं।

MCLR से जुड़ा लोन होने पर क्या करें?

यदि आपका लोन SBI या किसी अन्य बैंक से MCLR से जुड़ा हुआ है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप यह चेक करें कि आपके लोन पर इसका असर पड़ेगा या नहीं। आप अपनी लोन agreement को चेक कर सकते हैं या बैंक के प्रतिनिधि से बात कर सकते हैं।

आपके लोन की अवधि और प्रकार के आधार पर, आपको अपनी बजट की योजना में बदलाव करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यदि आप और भी ब्याज दरों के बढ़ने की उम्मीद करते हैं तो आप फिक्स्ड-रेट लोन पर स्विच करने का विचार कर सकते हैं।

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SBI के MCLR में 5 आधार अंकों का इजाफा मौजूदा उधारकर्ताओं की EMI को बढ़ा सकता है। हालांकि यह बढ़ोतरी अपेक्षाकृत छोटी है, फिर भी यह बाजार की व्यापक प्रवृत्तियों को दर्शाती है और इससे कर्ज की कुल लागत पर असर पड़ सकता है। होम लोन, पर्सनल लोन, या कार लोन लेने वाले ग्राहकों को अपनी मासिक किस्तों पर ध्यान रखना चाहिए और भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए।

बड़े बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ, यह उधारकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपनी वित्तीय स्थिति को अपडेट रखें और यदि जरूरी हो तो रीफाइनेंसिंग के विकल्प पर विचार करें।

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